– 5 अगस्त 2010 की शाम सात बजे अचानक बादल फटने से हुई त्रासदी
– आठ साल गुजर जाने के बाद भी नही मिला सरकार से कोई मुआवजा राशि
जांजगीर चंापा। लेह लद्दाख में 5 अगस्त 2010 की शाम सात बजे अचानक बादल फटने से हुई त्रासदी में अपना तीन साल का बेटा और दो साल की बेटी खो चुका पिता बिहारी लाल साहू पिता पुनीराम साहु मुआवजे की राशि पाने के लिए पिछले आठ साल से जिला कार्यालय का चक्कर काट रहा है। उसका कहना है कि केन्द्र सरकार की घोषणा के मुताबिक इस त्रासदी में मृतकों,घयलों व लापता लोगों के परिजनों को मुआवजा राशि दी जानी थी, लेकिन तत्कालीन केन्द्र सरकार की यह घोषणा अब पीडित परिवारो के लिए महत छलावा दिखाई दे रही है। जांजगीर के अमारो गांव निवासी बिहारी लाल साहु ने बताया कि वह सरखन गांव निवासी संतन साहू पिता रामप्रसाद के साथ परिवार सहित जीवकोपार्जन के लिए लेह लददाख गया हुआ था। वहां पांच अगस्त 2010 की देर शाम लगभग सात बजे अचानक बादल फटने से भीषण तबाही आ गई। इसमें उनके सहित छत्तीसगढ़ राज्य के काफी मजदूर व उनके परिवार प्रभावित हुए। उस दिन की घटना केा याद कर साहू की आंखे न हो गई। उन्होने बताया कि लददाख के स्काउट काली मंदिर के पीछे हवामोड़ के पास वह लोग अपने परिवार सहित रूके थे। शाम सात बजे अंधेरा को जाने से वह लोग अपने कमरे मे थे कि तभी तेज आवाज के साथ बादल फटने से आया पानी सबकुछ अपने साथ बहाकर ले गया। इस दुर्घटना मे उसका तीन साल का बेटा राहुल और दो साल की बेटी प्रीति लापता हो गए, जिनका आज तक कोई पता नही चला इसके लिए मुआवजे की राशि देने का आश्वासन दिया गया, लेकिन आज तक वह उन्हे नही मिला।