- शादी सीजन में स्कूल बन जाते है, मैरिज हाल
- निजी स्कूलों में गर्मी छूट्टी में होता शादी विवाह का कार्यक्रम
- कमाई के लिए स्कूल संचालक कुछ भी करने को तैयार
जांजगीर चाम्पा (संजय यादव) सगाई,शादी या इसी तरह के अन्य मांगलिक कार्यो के लिए उपयोग में लाये जाने वाले भवनों में नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार कुकिंग स्पेस, ओपन स्पेस, फायर डोर, वाटर क्लोजसेट,टॉयलेट, पार्किग, जैसी तमाम सुविधाये अनिवार्य है। लेकिन जिला मुख्यालय के किसी भी स्कूल संचालक इन नियमो का पालन नही करते…. आलम यह है कि शासन प्रशासन की छूट के चलते स्कूलों के नाम पर गर्मियों में मैरिज पलेश संचालित हो रहे है।
जिला मुख्यालय में ऐसे कई निजी स्कूल संचालित है, जो शैक्षणिक सत्र के दौरान क्लासेस लगाते है,वही गर्मी की छुट्टियों में स्कूल का उपयोग शादी व मंगलभवन के रूप में करते है। स्कूल संचालक कमाई के लिए कुछ भी कर सकते है। एक स्कूल को मैरिज हाल के रूप में बदल कर गर्मियो में भी खूब कमाई करते है। वही स्कूल के समय मोटी फीस लेकर बच्चो से वसूली करते है। इस तरह देखा जाए तो स्कूल संचालक सारी नियमो की धज्जियां उड़ाते देखा जा सकता है, पर प्रशासन किसी तरह की कार्यवाही नही करती।