अम्बिकापुर : हद है जिस डिवायडर को सडक पर बढ रही भीड़ को डिवाइड करने के लिए लगाया जाता है… जिस डिवायडर से भीड बांटकर हादसों को रोकने के लिए सडक के बीचो बीच खडा किया जाता है.. वो डिवायडर इंसान की मौत और सुरक्षा जैसी दोहरी भूमिका भी अदा कर सकता है… ऐसा नजारा और ऐसी घटना ट्राफिक नियमों के प्रति कम जागरूक और बेपरवाह यातायात विभाग वाले शहर अम्बिकापुर मे आम है…
दरअसल अम्बिकापुर शहर के होली क्रास स्कूल ,कारमेल स्कूल समेत कई ऐसे स्कूल है.. जो हैवी ट्रैफिक वाली सडक के किनारे ही बच्चो को स्कूल से छोड देते है.. लिहाजा यातायात विभाग ऐसी स्कूलों के सामने डिवायडर लगा कर वाहनो को एक तरफ से निकलवाने का, जिम्मा ले लेता है… जिससे स्कूली बच्चे सुरक्षित अपने घर पहुंच सके… लेकिन उसके बाद वो अस्थाई डिवायडर तितर बितर स्थिति मे सडक पर खडे या पडे रहते है.. जिसकी जानकारी स्कूल टाईम के बाद वहां से गुजरने वाले राहगीरों को कम होती है.. जिससे कई बार रात के समय उन स्थानों से गुजरने वाले वाहन उन तितिर बितिर खडे या पडे डिवायडर से टकरा जाते है.. और फिर किसी वाहन चालक को गंभीर चोट आती है या फिर उनकी मौत हो जाती है.. जैसा कि शनिवार की रात होली क्रास स्कूल के, सामने हुआ.. जब एक कार सवार, डिवायडर से टकरा कर दुनिया से चला गया..
हालांकि ऐसे ज़्यादातर वाहन चालक नशे की हालत मे भी हो सकते है… लेकिन कुछ ऐसे भी वाहन, चालक हो सकते है जो पिछे तो बिना डिवाइडर वाली सडक पर अपनी रफ्तार मे चल रहे थे.. लेकिन अचानक उनका सामना डिवायडर से होगा. तब उनके सामने अचानक खडे डिवायडर मौत रूपी दिखने लगते है… और, हादसा हो जाता है… तो सवाल ये है कि अगर अस्थाई डिवायडर बीच सडक खडे किए जा सकते है तो क्या स्कूल समय के बाद यातायात विभाग के पुलिसकर्मी इसे सडक किनारे खडा नहीं कर सकते है…? जिससे डिवायडर की भूमिका दोहरी होने से बच सके..
दिलबाग सिंह यातायात प्रभारी अम्बिकापुर..
इस संबंध में हमने यातायात प्रभारी दिलबाग सिंह से बात की तो उन्होंने बताया की भीड़ भाड़ वाली जगहों पर अस्थाई डिवाइडर लगाए जाते हैं, और उसमें रेडियम पट्टी होती है जिससे डिवाइडर रात में भी राहगीर को दिखाई दे सके, अगर किसी डिवाइडर में रेडियम पट्टी नही है तो उसे रात में सड़क के किनारे कराया जाता है, लेकिन दुर्घटना का कारण राहगीर की गलती है क्योकी सड़क पर रेडियम लगा डिवाइडर साफ दिखता है।