रायपुर, 21 जनवरी 2014
सूचना का अधिकार विषय पर कार्यशाला सम्पन्न
छत्तीसगढ़ के मुख्य सूचना आयुक्त श्री सरजियस मिंज ने कहा है कि सूचना के अधिकार के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि अभी भी आम नागरिक अपने इस अधिकार के प्रति जागरूक नहीं हैं। जब तक आम नागरिक इसके प्रति जागरूक नहीं होंगे तब तक सूचना का अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं होगी। श्री मिंज आज यहां निमोरा स्थित छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासन अकादमी में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 लोक प्राधिकारियों द्वारा स्वप्रकटीकरण’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।
श्री मिंज ने कहा कि जब भारतीय संविधान के तहत नागरिकों को दिए गए अधिकारों से सूचना प्राप्त करने का उद्देश्य हल नहीं हो रहा था, तब सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अस्तित्व में आया। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार के तहत अक्सर अस्पष्ट जानकारी कार्यालयों से मांगी जाती है। सूचना का अधिकार अधिनियम लोक प्राधिकारियों को यह अधिकार प्रदान करता है कि किस तरह से मांगी गयी अस्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जाए। इसलिए जो भी जानकारी मांगी जाए वह स्पष्ट हो, क्योंकि यह अधिनियम केवल विशिष्ट जानकारी ही उपलब्ध कराने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा-4 के तहत समस्त शासकीय विभागों को अपनी वेबसाइट पर 17 बिन्दुओं की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। इससे विभाग की अधिकांश जानकारी स्वतः आम नागरिकों को उपलब्ध हो जाएगी। ऐसा करने से सूचना का अधिकार के तहत सूचनाएं प्राप्त करने से संबंधित आवेदन पत्रों की संख्या में 50 प्रतिशत की कटौती हो जाएगी।
कार्यशाला में छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासन अकादमी के संचालक श्री मुदित कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यशाला में राज्य शासन के विभिन्न विभागों के 17 जनसूचना और अपीलीय अधिकारी प्रतिभागी के रूप में उपस्थित थे। कार्यशाला में लोक प्राधिकारी के कर्तव्य, लोक प्राधिकारियों द्वारा किए जाने वाला स्वप्रकटीकरण, सूचना का आवेदन, निराकरण, शिकायत और अपीलीय विषयों पर विस्तार से चर्चा की गयी। कार्यशाला में प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया।