- CAF के लोग पीएम आवास और राशनकार्ड की समस्या भी सुनते है..
- ग्रामीणों से हो रहे जुडाव से अच्छे परिणाम संभव..
- प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा को छत्तीसगढ़िया बोलने का मिला फायदा..
रायपुर आज हम आपको एक ऐसी सख्सियत से रू-ब-रू कराने जा रहे है देश के पिछड़े इलाको में रहने वाली युवतियों के लिए एक उदाहरण है.. छत्तीसगढ़ की यह बेटी बीई की पढ़ाई करने के बावजूद एयरकंडीशनर दफतर में अपनी सेवाए नहीं दे रही है.. बल्की इसने सेन्ट्रल आर्म्स फ़ोर्स को चुना और बतौर असिटेंट कमान्डेंट सीएऍफ़ कांकेर जिले में पदस्थ है..
छतीसगढ़ की इस होनहार बेटी का नाम है प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा जो प्रदेश के दुर्ग जिले से है.. पढ़ाई के दौरान अपने जीवन में कई बड़े अवसरों को छोड़ प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र कांकेर जिले के अंतागढ़ में अपनी सेवाएँ दे रही है.. यहाँ पर इसकी फ़ोर्स रेलवे ट्रैक की सुरक्षा में लगी हुई है..
प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा से जब हमारी मुलाक़ात हुई तो उनकी बातो में एक बात बड़ी सामने आई जो इन सब से थोड़ा हटके है.. उन्होंने बताया की क्युकी मैं छत्तीसगढ़ की हूँ और यहाँ की बोली भाषा बोलती हूँ यही वजह है की अंतागढ़ के ग्रामीण, महिलाए और बच्चे मुझसे काफी घुले मिले है.. आम और पर सेन्ट्रल फोर्सेस में अन्य प्रदेश के लोगो के साथ ग्रामीणों का वो लगाव नहीं हो पाता है.. लेकिन प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा से ग्रामीणों का ऐसा जुडाव है की पीएम् आवास और राशन कार्ड की शिकायतों को लेकर भी भोले भाले ग्रामीण सेन्ट्रल आर्म्स फ़ोर्स की अधिकारी प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा के पास आ जाते है.. जाहिर है की यह उनका मूल काम नहीं है.. वो अगर ग्रामीणों की इस समस्या में कोई रुची ना भी दिखाएँ तो कोई हरज नहीं लेकिन प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा ऐसा नहीं करती है वो ग्रामीणों की हर समस्या को अपने उच्चाधिकारियों से बताती है और अधिकारी भी प्रशसन से बात कर ग्रामीणों की समस्याओं के निदान की पहल करते है..
बहरहाल प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा ने यह साबित किया है की हम किसी भी क्षेत्र में काम क्यों ना कर रहे हो लेकिन समाज के प्रति हमारी जवाबदेही को समझना होगा क्योकी इसके परिणाम भी सार्थक आयेंगे.. घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पदस्त प्रियदर्शनी निहारिका सिन्हा की पहल असल में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी जंग है.. क्योकी ग्रामीणों को अपने अधिकारों के लिए जब भटकना पड़ता है तभी वो दुसरे रास्ते इख्तियार करते है लेकिन जब शासन और सरकार से जुड़े लोग ही ग्रामीणों के काम कर देंगे तो नक्सलवादियों से ग्रामीणों का जुडाव नहीं होगा.. क्योकी नक्सलवाद से असल लड़ाई यही है.. किसी व्यक्ति को मारकर यह समस्या ख़त्म नहीं की जा सकती लेकिन लोगो के दिमाग में बसे असंतोष को मिटाकर जरूर नक्सलवाद का सफाया किया जा सकता है..