’रमन के गोठ’ 27 वीं कड़ी की किया गया सामूहिक श्रवण
सूरजपुर जिले के जिला मुख्यालय तथा विकासखण्डों एव ग्राम पंचायतों रमन के गोठ को उत्साह से सुने। प्रदेष के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपनी मासिक रेडियो वार्ता ’रमन के गोठ’ की 27वीं कड़ी में कहा कि आप लोगों की मेहनत और रूचि के कारण यह कार्यक्रम लगातार चल रहा है। मुझे खुशी है कि इस कार्यक्रम को सुनकर बहुत से श्रोता तथा वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग मुझ से चर्चा करते हैं। अपने सुझाव भेजते हैं तथा अपनी रूचि के विषय को इसमें शामिल करने का आग्रह करते हैं। 1 नवम्बर से 5 नवम्बर तक प्रदेश में धूमधाम से राज्योत्सव मनाया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राज्योत्सव में पधार कर इस आयोजन को शिखर पर पहुंचा दिया। प्रदेश के सभी जिलों मेें 3 नवम्बर को जिला स्तरीय राज्योत्सव का आयोजन किया गया। इस आयोजन में आप सबकी सहभागिता के कारण प्रदेश में उत्साहजनक वातावरण बना है।इससे हमें एक ओर जहां अपनी पुरानी उपलब्धियों को देखने का अवसर मिला है, वहीं दूसरी ओर नए लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने का संकल्प भी मजबूत हुआ है।
खरीफ 2017 मौसम में हुई धान की फसल खरीदने का समय आ गया है। हमने इसके लिए सारी व्यवस्थाएं कर ली हैं और अब 15 नवम्बर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी प्रारंभ हो रही है, जो 31 जनवरी 2018 तक जारी रहेगी।किसान भाई-बहनों को अपना धान लेकर बहुत दूर न जाना पड़े, इसलिए बड़ी संख्या में धान उपार्जन केन्द्र खोले गए हैं। औसतन साढ़े 5 ग्राम पंचायतों के बीच एक धान खरीदी केन्द्र हो गया है। पहले मात्र एक हजार धान खरीदी केन्द्र थे, जिसे हमने बढ़ाकर 1 हजार 992 कर दिया है, अर्थात लगभग दोगुने केन्द्रों से धान खरीदी की व्यवस्था कर दी गई है। धान खरीदी और भुगतान की जो पारदर्शी व्यवस्था की है, उससे जिस दिन धान खरीदी होगी, उसी दिन किसान भाई के बैंक खाते में राशि चली जाएगी और इस तरह तत्काल किसान भाई इस राशि का उपयोग कर सकते हैं। इस बार धान बेचने के लिए पिछले साल की अपेक्षा 1 लाख 27 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। इस तरह अब धान बेचने वालों की संख्या 15 लाख 79 हजार हो जाएगी, जो अब-तक की सर्वाधिक संख्या है। इस वर्ष धान के समर्थन मूल्य में 80 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जिसके कारण मोटा धान 1550 रूपए प्रति क्विंटल तथा पतला धान 1590 रूपए प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा, जिसका भुगतान तुरंत कर दिया जाएगा और 2018 में प्रति क्ंिवटल 300 रूपए बोनस का भुगतान भी किया जाएगा। इस तरह प्रति क्ंिवटल धान के लिए किसानों को लगभग 1900 रूपए तक मिल जाएंगे।इस तरह एक फसल का दो बार भुगतान होगा, जो पहले दाम के रूप में और बाद में बोनस के रूप में होगा।किसान भाई-बहनों से अनुरोध करता हूं कि वे धान को सुखाकर और आवश्यक साफ-सफाई करने के बाद समिति में विक्रय हेतु लाएं, जिससे उन्हें खरीदी केन्द्रों में सुविधा होगी। धान खरीदी केन्द्रों में किसानों की सुविधा और सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाए, इसके लिए समितियों को निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि जहां धान नहीं होता, वहां मक्के की पैदावार बढ़ रही है। विशेषकर आदिवासी अंचलों में मक्का आय का बड़ा माध्यम रहा है।मक्के की खरीदी साढ़े छह महीने तक होगी, जो 15 नवम्बर 2017 से 31 मई 2018 तक चलेगी।इस वर्ष मक्का खरीदी की दर 1365 रूपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1425 रूपए प्रति क्ंिवटल कर दी गई है, अर्थात मक्के की दर में भी 60 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।जिस तरह धान खरीदी की व्यवस्था की गई, उन्हीं केन्द्रों से मक्का भी खरीदा जाएगा और भुगतान की राशि किसानों के खाते में तुरंत डाल दी जाएगी। प्रदेश में मक्के का रकबा और उत्पादन बढ़ने का लाभ भी किसान भाइयों को मिलेगा।
इसी तरह छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों की जीवन रेखा यदि धान की फसल है तो वन अंचलों, आदिवासी बहुल अंचलों की जीवन रेखा तेन्दूपत्ता है। हमने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और किसानों को बोनस देने की व्यवस्था करके लगभग 14 लाख किसानों को नई शक्ति दी है, तो लगभग इतनी संख्या में ही वनवासी, आदिवासी परिवारों को तेन्दूपत्ता के कारोबार से लाभ देने की व्यवस्था की गई है।
बस्तर, सरगुजा संभाग के अलावा आंशिक रूप से राजनांदगांव, बालोद, कबीरधाम, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बलौदाबाजार, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा आदि जिलों में भी तेन्दूपत्ता होता है, जिसके संग्रहण और बिक्री का लाभ स्थानीय ग्रामीण जनता को मिलता है।लगभग 14 लाख परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन तेन्दूपत्ता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने तेन्दूपत्ते का संग्रहण पारिश्रमिक 450 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाना शुरू किया, जिसे बढ़ाते हुए 1500 और 1800 रूपए तक ले आए थे।अब नए सीजन के लिए हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 2500 रूपए प्रति मानक बोरा करने का निर्णय लिया है।इस तरह हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 555 प्रतिशत या साढ़े पांच गुना से अधिक बढ़ा दिया है।एक बार में 700 रूपए प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक बढ़ाना अपने आप में बहुत बड़ा कीर्तिमान है, जिसके कारण तेन्दूपत्ता मजदूरों को अब एक तिहाई से अधिक राशि अतिरिक्त मिलेगी।धान की तरह, हम तेन्दूपत्ता मजदूरों को भी बोनस देते हैं। वर्ष 2016 के तेन्दूपत्ता बोनस की राशि 274 करोड़ 38 लाख रूपए का भुगतान किया जाना है। यह राशि 901 समितियों के अंतर्गत कार्यरत लगभग 14 लाख तेन्दूपत्ता मजदूरों को मिलेगी।
तेन्दूपत्ता बोनस तिहार मनाने का फैसला किया है, जो 1 दिसम्बर से 10 दिसम्बर तक चलेगा। इस तिहार में सिर्फ बोनस ही नहीं बांटा जाएगा, बल्कि वनवासियों के जीवन में बदलाव लाने वाली योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी होगा। हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा।13 वर्षों में हमने 1 हजार 842 करोड़ रूपए का संग्रहण पारिश्रमिक दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर घर में बिजली पहुंचाने के लिए ‘सौभाग्य योजना’ (सहज बिजली हर घर योजना) की शुरूआत 25 सितम्बर 2017 को की है। उन्होंने लक्ष्य दिया है कि हमें सभी घरों को बिजली की रोशनी से रोशन करना है।छत्तीसगढ़ में 98 दशमलव 67 प्रतिशत गांवों में विद्युतीकरण का कार्य हो चुका है। अब मात्र 465 गांव तथा 7 हजार मजरे-पारे तथा टोलों का विद्युतीकरण करना है। वर्ष 2018 में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य पूरा कर लंेगे।जहां तक ‘प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना’ का सवाल है, तो निश्चित तौर पर हम सितम्बर 2018 तक हर घर में बिजली पहुंचाएंगे। ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां बिजली पहुंचाई जा चुकी है, लेकिन कुछ घरों में बिजली कनेक्शन नहीं लगे हैं। ऐसे सभी घरों का चिन्हांकन करके, वहां बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे। सौर सुजला योजना के तहत 51 हजार किसानों को सोलर पम्प काफी किफायती दाम पर दे रहे हैं। इनके उपयोग और रख-रखाव के बारे में भी इन शिविरों में चर्चा की जाए।
3 अक्टूबर 2017 को छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय, रायपुर में वरिष्ठ नागरिकों के सहायतार्थ ‘सीनियर सिटीजन सेल’ की स्थापना की गई है।सीनियर सिटीजन सेल का संचालन हेल्पेज इंडिया, स्वयंसेवी संस्था एवं छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।इस सेल में टोल-फ्री नम्बर 1800-180-1253 तथा हेल्प लाइन नम्बर 0771-2511253 के माध्यम से सम्पर्क किया जा सकता है।
बाल दिवस14 नवम्बर को बाल दिवस भी है। इस अवसर पर मैं सभी बच्चों को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। बच्चों में भगवान बसते हैं। बच्चे मन के सच्चे होते हैं। वे गीली माटी के समान होते हैं, जिन्हें सही शिक्षा और सही संस्कार देकर हम मनचाहे आकार में ढाल सकते हैं। प्रदेश में बचपन को बचाने और उनका भविष्य संवारने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की है। मुख्यमंत्री बाल भविष्य योजना, मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना, नानचुन शिशु सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री अमृत योजना, चिरायु योजना, बाल मधुमेह योजना, मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना, सरस्वती सायकल योजना आदि।