अंबिकापुर मेडिकल कालेज अस्पताल का नजारा इन दिनों पशुचिकित्सालय जैसा है.. इस अस्पताल में खुलेआम गाय घूमती है और गाय पूरे अस्पताल का भ्रमण करती है लेकिन उसे बाहर निकलने की जहमत कोई नहीं उठाता है.. दरअसल अस्पताल में स्टाफ ही नहीं थे तो गाय को कौन भगाता.. वही अव्यस्था इतनी चरम पर है की मरीज जमीन पर लेटे है.. दीवरे पान-गुटखे की थूक से सजी पडी है… जमीन में जूठन पड़ा रहता है.. और स्टाफ बताते है की मरीज अधिक है और स्टाफ कम है..
मेडिकल कालेज का सपना संजोये हुए सरगुजा वासियों को यह जानना जरूरी है की जिस अस्पताल को मेडिकल कालेज बनाए जाने का सपना वो देख रहे है उसकी हालत गंभीर है.. इस अस्पताल की इस तस्वीर को देख आप सोचेंगे की यह इंसानों का अस्पताल है या पशुओ का.. क्योकी इस अस्पताल में बेख़ौफ़ होकर जानवर घूमते है.. और उन्हें बाहर निकालने वाला भी कोई नहीं होता..
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इतना ही नहीं अस्पताल की दीवारों पर पान-गुटखे की थूक से सजी हुई है… खाने का जूठन जमीन पर पडा रहता है.. लिहाजा अस्पताल की साफ़ सफाई का अंदाजा लगाया जा सकता है.. वही इस गन्दगी के बीच मरीजो को जमीन पर लेट कर इलाज कराना पड़ रहा है..
अस्पताल में उपस्थित स्टाफ नर्स को जब हमने उनकी जिम्मेदारियों को याद दिलाया तो उलटा मीडिया से ही सवाल करने लगी की आप बताइये की इतने मरीज में कितने स्टाफ होने चाहिए… लिहाजा उन्होंने यह कह कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया की अस्पताल में मरीज ज्यादा है और स्टाफ कम है..
खैर तस्वीरे ही सब कुछ बयां कर रही है इन तस्वीरों को देख आप सब समझ गए होंगे.. और इतनी बड़ी लापरवाही का जवाब जब मेडिकल कालेज के डीन से माँगा गया तो उन्होंने कहा की मामला अभी संज्ञान में आया है.. सम्बंधित अधिकारी को समझाईस देकर सुधार कराया जाएगा..
बहरहाल इंसानों के अस्पताल में जानवर घूम रहे है.. पूरे अस्पताल में गन्दगी और अव्यवस्था पसरी हुई है और संभाग वासी मेडिकल कालेज के दर्जे का सपना देख रहे है.. क्या इस स्थित में इस अस्पताल को मेडिकल कालेज बनाया जाएगा या यह एक शिगूफा बन कर रह जाएगा..