कैबिनेट बैठक से शिक्षाकर्मियों में निराशा
राज्य सरकार के कैबिनेट की 11 जुलाई की बैठक का शिक्षाकर्मियों को बेसब्री से इन्तजार था.. सभी शिक्षाकर्मी को अपने हित में बड़ा निर्णय होने की उम्मीद थी परंतु कैनिनेट बैठक से शिक्षा कर्मी अपने आप को छला महसूस कर रहे है , मंत्रियो द्वारा शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु नियमित शिक्षक भर्ती करने का सुझाव दिया गया ऐसी बात मिडिया के माध्यम से सामने आई है ,जिसका विरोध शिक्षा कर्मी संघ ने किया है छ. ग. पंचायत /नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रंजय सिंह ने बताया कि 1995-96 से शिक्षा कर्मी शासकीय शालाओ में अध्यापन का कार्य करके दुरस्त अंचल पहुँच बिहीन क्षेत्र में शैक्षणिक गुणवता में सुधार किये है ऐसी स्थिति में शासन के द्वारा शिक्षाकर्मियो को नियमित कर उनके कार्य का पुरस्कार देना चाहिए न की नई भर्ती कर असन्तोष को जन्म देना चाहिये।
शिक्षा कर्मी दूरस्थ अंचल जहाँ कोई जाना नही चाहता में शिक्षा का अलख जला रहे है , मन में इस उम्मीद के साथ की आज नही तो कल शासन हमे नियमित कर सर्व सुविधा देगी। रंजय सिंह ने बताया कि छ0 ग0शासन आजाक एवं शिक्षा विभाग को मिला कर एक विभाग कर दिया है जिससे शिक्षा विभाग में कसावट आई है ठीक इसी प्रकार सभी शिक्षाकर्मियों को शासकीय करण कर दे तो शिक्षा विभाग में एकरूपता आएगी साथ ही शैक्षणिक गुणवत्ता में भी बदलाव(सुधार) आयेगा। वर्तमान में एक छत के नीचे नियमित शिक्षक ,शिक्षा कर्मी एवं विद्या मितान कार्य कर रहें है जो अपनी-अपनी समस्याओं से ग्रसित है ऐसी स्थिति में अपेक्षित गुणवत्ता का अभाव है
शासन को शिक्षाकर्मियों को नियमित करने पर विचार करना चाहिये जिससे शिक्षा कर्मी पूर्ण मनो योग से शिक्षकीय कार्य कर पाये ,शासन यदि शिक्षाकर्मियों को नियमित करती है तो ज्यादा वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा और पूरे मनोयोग से शिक्षा कर्मी भी कार्य करके शिक्षा को नई ऊँचाई तक ले जायेंगे। यदि नई नियमित भर्ती की बात आती है तो सभी 180000 शिक्षा कर्मी एक साथ इसका विरोध करेंगे ।