सेवाओं के गायब होने से भी हलाकान हैं संचालक
ई पंचायत के तहत नियुक्त व्हीएलई हटाए गए, मानदेय की राशि भी है अप्राप्त
रायपुर भले ही देश के प्रधानमंत्री गांवों को डिजिटल बनाने की बातें कह रहे हों पर धरातल में इसकी सच्चाई ही कुछ और है। ग्राम पंचायतों को डिजिटल बनाने एवं आमजनों को शासकीय योजनाओं का लाभ देने जिले में स्थापित सामान्य सेवा केन्द्र का संचालन संचालकों की परेशानी का सबब बन गया है। इससे संचालकों को जहां एक ओर आर्थिक क्षति हो रही है वहीं ग्राहकों से भी अनबन हो रही है। जबकि इस विषय को लेकर संचालकों द्वारा बार बार सीएससी के उच्च अधिकारियों को जानकारी दिए जाने के बावजूद कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है। इतना ही नहीं ग्राम पंचायतों में ई पंचायत के तहत नियुक्त व्हीएलई को हटा भी दिया गया है। वहीं हटाए गए पंचायत व्हीएलई को पंचायत के माध्यम से मिलने वाली राशि भी सचिवों द्वारा सीएससी के खातों में हस्तांतरित भी नहीं की गई है। जबकि कुछ पंचायतों द्वारा सीएससी के खाते में राशि एनईएफटी के माध्यम से जमा करा दी गई है।
अपडेशन के बाद पोर्टल से परेशानी
विगत जनवरी-फरवरी माह में सीएससी के पोर्टल को अपडेट किया गया परन्तु सीएससी द्वारा बगैर किसी पूर्व तैयारी के अचानक पोर्टल को अपडेट कर दिया गया। अपडेट किए गए पोर्टल में आधार मोबाइल अपडेट, बिजली बिल, वोटर आईडी प्रिटिंग, रेलवे रिजर्वेशन, बीएसएनएल रिचार्ज समेत कई सेवाएं नदारद हैं। वहीं पिछले दिनों बिजली बिल की सेवा चालू की गई थी तो कई व्हीएलई के खातों से बिजली बिल का भुगतान करते हुए उनके वाॅलेट से राशि तो कट गई परन्तु ट्रांजेक्शन के फेल होने से जहां एक ओर व्हीएलई की बड़ी राशि फंस गई तो दूसरी ओर उन्हें सीएससी द्वारा राशि वापस नहीं की गई है। इस गंभीर विषय को सीएससी के अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी सार्थक पहल न उठाने से व्हीएलई परेशान हैं। जबकि ग्राहकों के बिल का भुगतान न होने से रोजाना ग्राहकों से अनबन होती रहती है।
बगैर तैयारी कर दिया अपडेशन
डिजीसेवा के पोर्टल को सीएससी द्वारा बगैर किसी पूर्व तैयारी के अपडेट कर दिया गया है। पोर्टल में जहां एक ओर सीएससी की बेहतरीन सेवाएं जैसे आधार मोबाइल अपडेट, रेलवे रिजर्वेशन, पासपोर्ट, बीएसएनएल रिचार्ज, वोटर आईडी प्रिंटिंग समेत कई सेवाएं अब तक चालू नहीं की जा सकी हैं। जिससे ग्राहक बार बार सामान्य सेवा केन्द्रों के चक्कर काटने को विवश हैं। वहीं संचालकों द्वारा वोटर आईडी व आधार प्रिंटिंग के लिए करीब 50 हजार का प्रिंटर भी सीएससी के माध्यम से क्रय भी किया गया है। जो अब महज एक डिब्बा बनकर रह गया है।
नहीं मिली मानदेय की राशि
ग्राम पंचायतों में ई पंचायत के तहत एंट्री हेतु व्हीएलई नियुक्त किए गए थे। जिन्हें राज्य शासन के आदेशानुसार हटा दिया गया है। इन हटाए गए व्हीएलई को मानदेय सीएससी के माध्यम से पंचायतों द्वारा दिया जाना है। राज्य शासन के आदेशानुसार पंचायतों के चैदहवें वित्त मद से 5000 रुपए प्रतिमाह के मान से मानदेय का भुगतान किया जाना है। इस राशि को अधिकांश पंचायतों के सचिवों द्वारा सीएससी के खातों में एनईएफटी के माध्यम से भुगतान किया जाना था। पूरे जिले में गिने चुने पंचायतों द्वारा राशि को जमा कराया गया है जबकि कई पंचायतों में पिछले छह माह से यह राशि जमा ही नहीं की गई है। वहीं जिन पंचायतों ने सीएससी के खाते में राशि जमा कर दी है उन्हें भी सीएससी द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया हैै।
बैंक मित्र नियुक्त करने में बैंक हैं उदासीन
प्रदेश के सीएससी प्रबंधन द्वारा व्हीएलई से उगाही व वसूली करने के चक्कर में बैंक मित्र नियुक्त करने में उदासीनता दिखाए जाने के कारण सामान्य सेवा केन्द्रों को बैंक मित्र बतौर नियुक्त नहीं किया जा सका है। हालाकि प्रशासन द्वारा बैंकों को इस आशय का आदेश जारी किया जा चुका है। इसके बावजूद प्रदेश स्तर के अधिकारियों के रवैये से बीसी की नियुक्ति नहीं हो पा रही है।