अम्बिकापुर देश दीपक “सचिन” प्रदेश सहित पूरे देश में ख्याति प्राप्त कर चुका अम्बिकापुर के सालिड वेस्ट मनेजमेंट की को करीब से देखने आज 16 राज्यों के 80 प्रतिनिधी अम्बिकापुर पहुचे. सभी राज्यों ने अंबिकापुर के कचरा प्रबंधन को केंद्र सरकार से मिली तारीफों के बाद इस कार्यप्रणाली को अपनाने की दृष्टी से अपने प्रतिनिधियों को अम्बिकापुर भेजा है. इस अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन कर के बहर से आये प्रतिनिधियों को योजना की विस्तृत जानकारी दी गई साथ ही शहर के अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए कचरा प्रबंधन सेंटरों का निरीक्षण भी कराया गया. इस दौरान केरल से सुश्री मृनमई जोषी, आईएएस, राष्ट्रीय मैनेजमेंट मिषन यूनिट दिल्ली से के.पी. राजेन्द्रन, ईषा प्रसाद भागवत, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिषन के संयुक्त संचालक सुरेष त्रिपाठी सहित बिहार, मध्यप्रदेष, उत्तरप्रदेष, गोवा, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, सिक्किम, तेलंगाना, पष्चिम बंगाल, ओडिसा, कर्नाटक, केरल, झारखण्ड, दिल्ली सहित 16 राज्यों के 80 प्रतिनिधियां ने भाग लिया.
कचरे का प्रायमरी, सेकेण्डरी एवं टर्सरी सेग्रीगेषन
केन्द्र में संग्रहित कचरे को उनकी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग करते हुए शोधन का कार्य भी किया जा रहा है। एसएलआरएम सेन्टर के कुछ कचरों को खाने के लिए सेन्टर पर मुर्गी एवं बतख पालन किया गया है। कचरे का द्वितीयक एवं तृतीयक पृथक्करण का कार्य भी कुछ एसएलआरएम सेन्टर पर किया जा रहा है। तृतीयक पृथक्करण के पष्चात् कचरा संबंधित व्यापारी अथवा कम्पनी को बेचने योग्य हो जाता है। निगम द्वारा संबंधित व्यापारियों को कचरे का विक्रय भी किया जा रहा है। इस प्रकार के कचरा प्रबंधन से कोई भी कचरा डम्पिंग यार्ड पर फेकने योग्य नहीं रह जाता है। जैविक कचरे का उपयोग कम्पोस्ट बनाने तथा बायो गैस बनाने में किया जाता है। अम्बिकापुर में डम्पिंग यार्ड को हरे-भरे स्वच्छता चेतना उद्यान के रूप में विकसित किया गया है।
तरल अपषिष्ठ प्रबंधन
अम्बिकापुर के मेरिन ड्राईव तालाब में तरल अपषिष्ठ प्रबंधन का कार्य भी बतख पालन के माध्यम से प्रारंभ किया गया है। बतख तालाब में स्थित अपषिष्ठ पदार्थो एवं मच्छर सहित अन्य कीड़े-मकोड़ों को खा जाते हैं, जिससे तालाब का पानी अत्यधिक दूषित होने से बचा रहता है। इन बतखों के लिए शेड के समीप ही साफ पानी का तालाब बनाया गया है, जिसमें तैरकर बतख मेरिन ड्राईव तालाब की गंदगी को साफ करते हैं। इसके पष्चात् बतखों को शेड में भेजा जाता है। शेड के भीतर बतख के पीने के लिए अलग-अलग बर्तनों में साफ पानी रखा जाता है। बतख पालन से तरल अपषिष्ठ प्रबंधन के साथ ही अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है।
जनप्रतिनिधियों, नागरिकों एवं कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका
जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने एसएलआरएम प्रबंधन की प्रारंभिक कठिनाईयों से लेकर आज तक के सफर के बारे में बताया कि स्वच्छता के लिए नागरिकों का सतत सहयोग आवष्यक है। उन्होंने बताया कि एसएलआरएम की सफलता के लिए इस कार्य में लगी महिलाएं भी अपने दायित्वों का पूरी सजगता के साथ निर्वहन कर रही हैं। विभिन्न प्रांतों से आये प्रतिभागियों को निगम क्षेत्र में संचालित एसएलआरएम सेन्टर, नावापारा, डी.सी. रोड़ तथा मेरिन ड्राईव में किये जा रहे कार्यो तथा लिक्विड रिसोर्स मेनेजमेन्ट एवं स्वच्छता चेतना उद्यान, ग्रामीण क्षेत्र में संचालित एसएलआरएम सेंटर करम्हा एवं पुहपुटरा का अवलोकन कराया गया। इस अवसर पर भारत सरकार एवं राज्य शासन के अधिकारी भी उपस्थित थे।