डौंडी के बाद गुरुर ब्लाक कागज में हुुुआ ओ डी एफ सीईओ सम्मानित होंगे
बालोद जिले में प्रशासनिक लापरवाही का एक और मामला हुआ उजागर
बालोद – जेपी सिन्हा
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश भर के ग्रामीण इलाको को खुले में सौच मुक्त करना है…लेकिन बालोद जिले में यह अभियान सिर्फ कागज में या फर्जी रिपोर्ट में पूरा हो रहा है ज़िले के गुरुर ब्लॉक जो कि जिले का गुरुर ब्लाक जिसमे आधा हिस्सा आदिवासी बाहुल्य है तो आधा कृषि प्रधान क्षेत्र है जिसे ज़िला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ के मिली भगत से फर्जी रिपोर्ट तैयार कर गुरुर ब्लाक को पूर्णतः खुले में सोच मुक्त ब्लाक घोषित कर दिया गया है…..और जनपद सीईओ को इसके लिए 24 अप्रेल को रायपुर में मुख्यमंत्री से पुरस्कार भी दिया जाना है परंतु मिलने वाले इस पुरस्कार के पीछे की सच्चाई कुछ और ही है…..बालोद ज़िले का विकासखंड गुरुर जिसे खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य शासन द्वारा दिया गया था….31 मार्च तक पूर्णतः खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य मिला, तो लक्ष्य को पूरा कर तमगा लेने में लग गए और अधूरे शौचालय बने जगहों को भी खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया जो की पूर्णतः गलत है।
इस पुरे मामले में जब गुरुर विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रो घूमकर देखा गया तो ज्यादातर इलाको में नजारा कुछ और ही देखने को मिला बहुत सारे गाँवों में अब तक शौचालय निर्माण का काम पूरा नही हुआ है और वहाँ के लोग महिला व पुरुष अभी भी खुले में शौच जा रहे हैं पर जनपद सीईओ और ज़िला पंचायत सीईओ की मेहरबानी से आधे अधूरे निर्माण को पूर्ण बता दिया गया है जबकि कई शौचालय निर्माण तो अब तक शुरू नहीं हुए वहीँ इस मामले कुछ सरपंचो ने भी माना को उनके गाँव को खुले में सौचमुक्त घोषित करने में जनपद सीईओ द्वारा जल्बाजी की गई है…..तो वहीँ कुछ सरपंचो यह तक नहीं मालूम की सरपंच ने किस कागज में उनसे दस्तखत करवाकर ले गए है…..तो वहीँ ग्रामीणों ने यह भी माना की निर्माण ठेकेदार द्वारा किया जा रहा जिनको भुगतान नहीं होने के कारण वे भी काम छोड़कर चल दिए है…….जबकि पंचायती राज या मनरेगा दोनों में ही ठेकेदारी पर प्रतिबंध है. क्षेत्र के अधिकांशतः ग्रामीण आज भी खुले में सौच करने को मजबूर है यही नहीं कई गाँवों में तो अधिकारियो ने अपना लक्ष्य पूरा करने तुगलकी फरमान जारी करवा दिया गया था कि जब तक घरो में सौचालय नहीं बनेगा उन्हें सरकारी राशन सामग्री नहीं दी जाएगी …जिसपर काफी विरोध के बाद ग्रामीणों को पुनः राशन दिया गया
पुरे मामले में ग्रामीण व उस क्षेत्र के सरपंच मान रहे कि उनके क्षेत्रो में फिलहाल पूरी तरह शौचालय निर्माण नहीं हुआ है …..तो वही दूसरी ओर बालोद जनपद सीईओ द्वारा निर्माण कार्य पूरा होने के आधार पर ODF ब्लाक घोषित होने की बात कह रहे है ..जबकि जिला पंचायत सीईओ से गुरुर ब्लाक में हो रहे फर्जी ओ डी एफ पर मीडिया ने जानकारी चाहने पर उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया तथा जिले के कलेक्टर से जानकरी लेने की बात कही तो वहीँ गूरुर ब्लाक के इस फर्जी ओ डी एफ पर जिले के अपर कलेक्टर व कलेक्टर ने भी कुछ भी कहने से मना कर दिया
बहरहाल गुरुर क्षेत्र में हुए सौचालय निर्माण जहाँ अधिकारियो के द्वारा किये कार्यो का पोल खोल रही है ……तो वही यहाँ के अधिकारियो ने किस तरह झूठ की बुनियाद पर ओडीएफ बनाया है यह साफ़ झलक रहा है देश के प्रधान मंत्री का सपना भले ही पुरे देश में लागू हो रहा लेकिन बालोद जिले के अधिकारियों की लापरवाही से साफ़ झलकता है कि बालोद जिला में अफसरसाही किस हद तक हावी है. मुख्यमंत्री तक भेजे जाने वाली रिपोर्ट को भी यहाँ के अधिकारी फर्जी रिपोर्ट बनाने से नहीं चुक रहे है वहीँ मामले का खुलासा होने के बाद पंचायत विभाग दो बड़े स्तर के अधिकारियो का अलग अलग बयान भी इनकी गलतियों को साफ प्रदर्शित कर रहा है जबकि इससे पहले डौंडी ब्लाक को भी इस तरह फर्जी ओ डी एफ घोषित किया गया जिसकी शिकायत स्वच्छ भारत मिशन में भी किया गया था तो वहीँ जिले में फिर एक बार फजी तरीके से एक और ब्लाक को ओ डी एफ घोषित करवा बालोद जिला प्रशासन अब जिले को कागजो में ओ डी एफ घोषित करवाने में जुटे ऐसा प्रतीत हो रहा है