पानी,बिजली सड़क को मोहताज लेकिन पुलिया और रपटा की है भरमार..इस गाँव में विकास के मायने है भ्रष्टाचार

अम्बिकापुर 

भले ही प्रदेश में विकास के दावे किये जा रहे हो और विकास के नाम पर राजनैतिक दल सत्ता हथियाने का दम भरते हो लेकिन सरगुजा के सुदूर अंचलो में विकास की तस्वीर कुछ और ही है यहाँ गावं में ना सड़क है ना बिजली है और ना ही पीने का पानी है लिहाजा इन ग्रामीणों के लिए देश की आजादी और विकास की बाते मिथक ही है लेकिन इतने आभाव वाले गाँव में भी वन विभाग ने साठ लाख के अनुपयोगी निर्माण कार्य करा कर ये साबित कर दिया है की भ्रष्टाचार के खिलाफ कितने भी क़ानून बना लिए जाए लेकिन भ्रष्ट अधिकारी मानने वाले नहीं है।

ये है छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट का गंझा गाँव.. वैसे तो इस गाँव में विकाश के नाम पर ना ही बिजली पहची है और ना ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था है लेकीन गाँव के जंगलो और वन भूमि पर बने इन पुल पुलियों को देखा कर आप ये अंदाजा लगा सकते है की अंधे विकास की होड़ में यहाँ व्यापक भ्रष्टाचार किया गया है… दरअसल मैनपाट के गंझा गाँव में एक वर्ष पूर्व वन विभाग ने बिना सड़क के तीन रपटा का निर्माण कराया गया है और बिना जल स्रोत की 6 पुलिया तैयार होकर जल स्रोत के इन्तजार में मुह बाए खडी है..ग्रामीण चाहते है की सड़क पानी और बिजली की समस्या से छुटकारा मिले लेकिन वन विभाग ने इस गाँव में बुनयादी सुवाधाओ को दरकिनार करते हुए बिना सड़क के तीन रपटा का निर्माण करा दिया है और बिना पानी के 6 पुलियों का भी निर्माण करा रखा है जो बिना सड़क पानी और बिजली के इन ग्रामीणों के किसी काम के नहीं है।

लेकिन किसी भी वनमंडल में निर्माण कार्य के लिए आने वाली राशी का एक वित्तीय वर्ष में उपयोग ना किये जाने पर वह राशी लेप्स हो जाती है,, लिहाजा वन विभाग को राशी का उपयोग कर भ्रष्टाचार की ऐसी बानगी थी की यहाँ साठ लाख रुपये की लागत से ऐसे निर्माण कार्य करा दिए जिनकी इन ग्रामीणों को कोई जरूरत नहीं है..मामला तत्कालीन रेंजर से सम्बंधित है जिसने भ्रष्टाचार की इस वारदात को अंजाम दिया और अपना ट्रांसफर यहाँ से करा कर रायगढ चले गए। वही इस मामले में जहां ग्रामीण इस निर्माण को अपने लिए अनुपयोगी बता रहे है।

बहरहाल मैनपाट के विकास और सुन्दरता को बढ़ने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किये जाते है लेकीन गंझा गाँव के लोग मूल भूत सुविधाओं को मोहताज भ्रष्टाचार के कहानी के गवाह बन विकास की बात जोह रहे है। वही जिले के समझदार वनमंडलाधिकारी निर्माण को सही साबित करते हुए कहते है की निर्माण इसी पद्दति से निर्माण कराया जाता है,कही रेंजर द्वारा किये गए इस भ्रष्टाचार के आग की गर्मी वनमंडलाधिकारी तक तो नहीं पचुही थी,,