पशुपालन विभाग एक वर्ष में 58 पशुओ का ही करा सकी बीमा..कैसे आयेगी स्वेत क्रान्ति.?

योजना के प्रचार प्रसार में कमी..ऋण योजना के पशु ही हो सके है बीमित

अम्बिकापुर   

देश दीपक “सचिन”

सरगुजा जिले में पशुधन बीमा योजना को शुरू हुए एक वर्ष बीत चुके है लेकिन इस योजना का सही क्रियान्वयन विभाग के द्वारा नहीं किया जा रहा है…जिले में एक साल में बीमित पशुओ के आंकड़े बताते है की पशुओ के बीमा के लिए विभाग ने ना तो प्रचार प्रसार किया है और ना ही विभाग स्तर पर पशु पालको को जागरुक करने का ही प्रयास किया गया है। स्थित यह है की एक वर्ष में जिले में महज 58 पशु ही पशुधन योजना के तहत बीमित हो सके है वह भी डेयरी ऋण में बीमा की अनिवार्यता के कारण, गौरतलब है की इस योजना के तहत क्षेत्र के पशुपालको को आर्थिक नुक्सान से बचाने के लिए पशुओ का बीमा काराया जाना है जिससे पशु की आकस्मिक मृत्यु, दुर्घटना या अन्य कारणों से क्षति होने पर पशु पालक को बीमा कंपनी के द्वारा नए पशु खरीदने के लिए बीमा कंपनी द्वारा राशी उपलब्ध हो सके लेकिन विभाग की उदासीनता का परिणाम यह है की एक साल में 58 पशु ही बीमित हो सके है.. प्रदेश के अन्य जिलो में यह योजना पहले से हे चल रही थी लेकिन पिछले वर्ष इसे सरगुजा में भी चालू किया गया जाहिर है की योजना को चालू करने के पीछे शासन का मकसद पशु पालको की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है लेकिन पशु विभाग की लापरवाही का परिणाम जिले में 58 बीमित पशुओ के रूप में सामने आया है। जहां एक ओर केंद्र से राज्य सरकार तक स्वेत क्रान्ति लाने की जद्दोजहद में लगी हुई है डेयरी उद्द्योग को बढावा दिया जा रहा है डेयरी संचालित करने के लिए सरकार द्वारा 50% से 66% तक ऋण में सब्सिडी दी जा रही है तो वही दूसरी और पशु विभाग की उदासीनता के कारण पशु पालको का बीमा ना करा कर शासन की मंशा के विपरीत कार्य किया गया है।

दरअसल डेयरी उद्द्योग फायदे का व्यापार है लेकिन पशुओ के बीमार होने से मृत्यु हो जाने के भय से लोग इस व्यापार से बचते है इसी कारण शासन ने पशुपालको का लाभ सुनिश्चित करने की पहल पशुधन बीमा योजना के रूप में की है। पशु पालक को अगर अपने व्यवसाय में हानि नजर नहीं आयेगी तो इस व्यवसाय के प्रति लोगो का खुद रुझान बढेगा और डेयरी उद्द्योग के जरिये देश में स्वेत क्रान्ति को बढ़ावा मिल सकेगा। लेकिन सरगुजा में स्थिति बिलकुल विपरीत है यहाँ पर पशु विभाग द्वारा डेयरी ऋण तो दिलाया जा रहा है और ऋण की अनिवार्यता वाले पशुओ का बीमा भी कराया गया है लेकिन इसके अलावा जिले के पशु पालको को पशुधन बीमा योजना का लाभ नहीं मिल सका है। कारण प्रचार प्रसार और पशु पालको में जागरूकता की कमी या जानकारी का आभाव ही समझ आ रहा है।

डॉ एस.पी सिंह उपसंचालक पशुपालन विभाग

इस सम्बन्ध में पशुपालन विभाग के उपसंचालक से डॉ एस.पी सिंह ने बताया की क्योकि यह योजना अभि नई है पिछले ही वर्ष शुरू की गई है और बीमा कंपनी का चयन नहीं हो सका था, और लोगो में अभी जागरूकता की कमी है यही कारण है की जिले में बीमित पशुओ की संख्या कम है, लेकिन लगभग एक महीने पूर्व बीमा कंपनी का चयन कर लिया गया है। और विभाग के द्वारा प्रचार प्रसार के लिए हैण्ड बिल वगैरह छपवा कर सभी पशु चिकित्सको को दे दिए गए है,, जिसे शिविर के माध्यम से पशु पालको तक पहुचाने और बीमा योजना का लाभ दिलाने का कार्य तेज किया जा रहा है।

जिलेवार बीमित पशुओ की सूची –

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