पुरातात्विक अवशेष के भंडार पर नही किसी की सुध 

शहर का एक कोना जितना समृद्ध उतना उपेक्षित
कोयले का प्रचुर दोहन पर सुविधाओं का टोटा
कोरिया
चिरिमिरी से अंकुश गुप्ता 
चिरमिरी नगरपालिक निगम क्षेत्र के पश्चिमी छोर पर बसे बरतुंगा कालरी जहां 2 वार्डो के लोगो की घनी बसाहट है . एसईसीएल चिरमिरी की मेगा कोयला परियोजना अंतर्गत प्रचुर कोयला उत्पादक क्षेत्र होने के साथ  साथ पुरातन कालीन अवशेष बिखरे पड़े है पर यहां सुविधाओं का टोटा लगा है कोई सुध लेने वाला नही . कोयलांचल (चिरमिरी)से लगभग 2 कि मी स्थित स्थान बरतुंगा में गुप्त कालीन सभ्यता के पूरा अवशेष नष्ट होने के कगार पर है परन्तु उसके संरक्षण के लिए कोई अभिनव पहल नही की जा रही यह अत्यंत दुःख का विषय है यहाँ स्थापित स्तम्भो से ऐसा प्रतीत होता है की कोई राजतन्त्र का शासन यहां विद्यमान था तथा वे शैव उपासक थे क्योकि मूर्तियों में स्पष्ट दृष्टि गोचर हो रहा है की सबसे ऊपर दाहिने हाथ का चिन्ह तथा उसके बायीं तरफ सूर्य तथा दायीं ओर चन्द्रमा की आकृति बनी है ठीक उसके निचले भाग में एक पुरुष एवम् एक स्त्री तथा बीच में स्थित शिव लिंग की उपासना में लीन हैं तथा सबसे नीचे  के भाग में घोड़े पर सवार सिपाही बाये हाथ में ढाल तथा दायें हाथ में तलवार लिये उकेरा गया है . भवनों के स्तम्भ बिखरी अवस्था में किसी समृद्ध सभ्यता की गाथा आज भी गा रहे हैं .
इन मूर्तियों तथा अवशेषों के निकट और खुदाई होनी थी जिससे सभ्यता की अनन्त गाथाएं सामने आतीं परन्तु दुर्भाग्य ही कहा जायेगा की इस पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा .सबसे दुखद पहलु यह है की खुली खदान इस पुरातात्विक स्थल के सबसे निकट आ चूका है जिससे इस स्थान के शीघ्र नष्ट होने की सम्भावना बढ़ गयी है . स्थानीय प्रशासन  एवं पुरातत्व विभाग को इस बहुमूल्य कलाकृतियों की संरक्षण और संवर्धन के लिये प्रयास करना चाहिये .
बरतुंगा कालरी ने दी शहर को पहचान 
बरतुंगा कालरी में चिरमिरी कोलांचल एसईसीएल की बड़ी मेगा प्रोजेक्ट संचालित है जहां अंडरग्राउंड और ओपनकास्ट कोयला उत्खनन किया जाता है, जो कि चिरमिरी कोयला उत्पादन में अग्रणीय स्थान पर है , बरतुंगा की दूसरी पहचान प्रतिष्ठित डीएवी स्कुल जहां शहर भर के छात्रों के अध्ययन का बड़ा केंद्र साथ ही अपनी गोद में छिपाये पुरातत्विक महत्व के दुर्लभ अवशेष .
उपलब्धियों के बावजूद वर्षो से होरहा शौतेलापन
शहर को कोयला उत्पादन में संजीवनी प्रदान करने तथातमाम खूबियों के बावजूद बरतुंगा कालरी में सुविधाओं का हमेशा से ही अभाव रहा है . वर्षो बीत जाने के बावजूद आज तक यहां के रहवासी को आवागमन  स्थायी सड़क नही मिली .रोज नई परिवर्तित मार्ग से आने जाने को मजबूर होते है , पेयजल पानी का अत्यंत अभाव है आज भी स्थानीय लोग कालरी का पानी पीने को मजबूर है , जबकि समूचा चिरमिरी वाटर एटीएम के फिल्टर्ड पानी पी रहा है , पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अभाव है निगम की सीटी बस को आरम्भ हुये एक वर्ष से ज्यादा हो चला पर यहां के निवासियों ने आज तक बरतुंगा में सीटी बस के दर्शन को तरस रहे है . चारो तरफ कोयला उत्पादन से घिरा होने से धूल के गुबार से घिरा रहता है . चिकित्सा सुविधा के लिये भी कम से कम 6 किमी का सफर बमुश्किल तय करना पड़ता है .