30 जून 2012 के बाद की ब्याज और भण्डारण लागत केन्द्र द्वारा वहन की जाये मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा केन्द्रीय खाद्य राज्य मंत्री श्री थॉमस से आग्रह |
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भोपाल : शुक्रवार, जनवरी 3, 2014, 18:57 IST | |
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले तथा वितरण राज्य मंत्री श्री के.व्ही. थॉमस को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 31 मई 2013 के बाद प्राप्त कस्टम-मिल्ड राइस को भी केन्द्रीय पूल में स्वीकार किया जाये। साथ ही 30 जून 2012 के बाद धान की परिवहन लागत को भी केन्द्र सरकार वहन करें। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि मध्यप्रदेश में धान की पैदावार लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2009-10 में प्रदेश में धान का उत्पादन 14 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 40 लाख मीट्रिक टन हो गया है। प्रदेश में धान का उपार्जन वर्ष 2009-10 में 2 लाख 23 हजार मीट्रिक टन था, जो इस साल बढ़कर 20 लाख मीट्रिक टन हो जाने की आशा है। श्री चौहान ने पत्र में लिखा है कि धान के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण चावल की समय पर मिलिंग और निपटान के कारण चुनौती उपस्थित हो गई है। प्रदेश में मिलिंग क्षमता सीमित है। इस समस्या को देखते हुए विगत एक वर्ष में राज्य सरकार ने खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन योजना में 22 नई मिल को स्वीकृति दी है। इससे प्रदेश की मिलिंग क्षमता 3 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष बढ़ जायेगी। बहरहाल यह सब कार्य भविष्य में होंगे। मुख्यमंत्री ने श्री थॉमस का ध्यान सीमित मिलिंग क्षमता के कारण उपार्जित धान की मिलिंग में आने वाली कठिनाइयों की ओर आकृष्ट करते हुए बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा आमतौर पर एक सीजन में उपार्जित धान की मिलिंग के लिये 30 जून तक अर्थात् 5 माह का समय दिया जाता है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2011-12 में 9 लाख 4 हजार मीट्रिक टन धान का अभूतपूर्व उत्पादन हुआ। अत: केन्द्र सरकार ने इस अवधि को 31 मई 2013 तक बढ़ा दिया। इसमें यह शर्त रखी गई कि इसकी भण्डारण लागत और ब्याज को केन्द्र सरकार द्वारा वहन नहीं किया जायेगा। यह शर्त वाज़िब नहीं थी क्योंकि मिलिंग न होने का कारण प्रशासनिक अक्षमता न होकर मिलिंग क्षमता का अभाव है। राज्य सरकार ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर मिलिंग कार्य पूरा करने की कोशिश की लेकिन अब भी 13 हजार 662 मीट्रिक टन कस्टम-मिल्ड राइस 30 मई 2013 के बाद प्राप्त हुआ। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने केन्द्र सरकार से इसे स्वीकार करने का आग्रह किया लेकिन इस आग्रह को नहीं माना गया। मुख्यमंत्री ने इन तथ्यों के प्रकाश में केन्द्र सरकार से 31 मई 2013 के बाद प्राप्त कस्टम-मिल्ड राइस को केन्द्रीय पूल में स्वीकार करने तथा 30 जून 2012 के बाद की परिवहन लागत वहन करने का आग्रह किया है। |