दिवाली में दिए की विशेष सौगात..शिवमंगल की कला ने मिट्टी से किये कई आविष्कार

निरक्षरता को कमजोरी नहीं मेहनत को बनाई अपनी ताकत

अंबिकापुर देश दीपक सचिन 

“हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे , एक खेत नहीं एक गाँव नहीं हम सारी दुनिया मांगेंगे” मेहनत कश मजदूरों की इन लाइनों को मिथक साबित करते हुए सरगुजा के इस मेहनतकश कुम्हार ने अनवरत मेहनत की है और अपनी कला से लोगो को प्रभावित किया है लेकिन इसने आज तक अपने लिए सरकार से कुछ नहीं मांगा। त्योहारों का मौसम है पर्व है दीपावली का और दीपावली में दिए जलाना लाजमी है ऐसे में हम आपको एक ऐसे दिए के बारे में बताने जा रहे है जो पक्षी की शक्ल में है और इस पक्षी की चोंच से तेल टपकने से जलता है दिया। सरगुजा में कुदरत के करिश्मे का जीवंत उदाहरण है आरा गाँव में रहने वाले शिवमंगल। शिव मंगल अनपढ़ है लेकिन वैज्ञानिक पद्दति का ऐसा स्तेमाल किया है जिसे देख हर कोई अचंभित है। इनकी कलाकृतियां किसी वैज्ञानिक आविष्कार से कम नहीं है। मिट्टी को शिवमंगल ने अपनी कला से ऐसे ऐसे रूप दिया है जो देश भर में ख्याति प्राप्त कर रही है।

सरगुजा के आरा गाँव में रहने वाले शिवमंगल सिंह जो पुस्तैनी कुम्हार है और मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करते आ रहे है। शिवमंगल के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से उन्होंने पाठशाला का मुह नहीं देखा जिस कारण वो पढने लिखने में असमर्थ है। लेकिन विरासत में मिली कुम्हारी की कला के जरिये इन्होने ऐसे निर्माण किये है जो काबिले तारीफ़ है। शिवमंगल अपनी कला के लिए काफी ख्याति पाए है इन्हें नागालैंड, देहरादून, नैनीताल, भोपाल,शहडोल जैसी जगहों में जाकर अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदेश सरकार ने दिया है।

शिव मंगल ने मिट्टी के हाथी, घोड़े व अन्य कलाकृतिया तो बनाई ही है। लेकिन इस सब से परे इन्होने एक ऐसा दिया बनाया है जो देखने में किसी पक्षी की तरह दिखता है और इस पक्षी की चोंच से तेल टपकता है। बड़ी बात यह है की पक्षी की चोंच से टपकने वाला तेल नीचे बने दिए में गिरता है और उस दिए में बाती रख कर दीपावली में लोग दिए जलाते है और पक्षी की चोंच से टपकने वाला तेल दिए के भर जाने पर खुद-ब-खुद बंद हो जाता है। ऐसा किसी रहस्यमई ताकत के कारण नहीं बल्की हवा के दबाव के कारण होता है शिवमंगल ने अपने दिमाग का स्तेमाल कर इसमें ऐसा एयर सिस्टम बनाया है की दिए में तेल भरते ही पक्षी की चोंच से टपकने वाला तेल बंद हो जाता है। इतना ही नहीं इन्होंने मिट्टी के शंख और घंटे भी बनाए है जो किसी असली शंख या घंटे की तरह ही बजते है।

वही जब हमारी टीम शिवमंगल के घर पहुची तो मिट्टी के तरह तरह के साजो सामान बनाकर उसे लेकर शिवमंगल प्रदेश की राजधानी रायपुर जाने की तैयारी में थे पूछने पर उन्होंने बताया की रायपर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में उनकी कला कृतियों की प्रदर्शनी लगाने के लिए शासन ने उन्हें बुलाया है। बहरहाल देश के संवेदन शील प्रधानमंत्री से भी मिलने का अवसर एक छोटे से गाँव के इस कुम्हार को मिलने जा रहा है पर विलक्षण प्रतिभा के धनी इस कलाकार पर क्या किसी की नजर रुकेगी या बस शासन के लिए प्रदर्शन का कारक ही बना रह जाएगी शिवमंगल की प्रतिभा।

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