उड़ीसा के बाद अब छ.ग.में भी एक लाचार पिता बेटी के शव को पैदल लेकर निकला..!

बिलासपुर 

पेंड्रा से “रामेश्वर तिवारी” 

उडीसा के बाद अब छत्तीसगढ़ में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने ना सिर्फ सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दी है बल्कि इस सभ्य समाज में इंसानियत के मायनों की असल तश्वीर भी उजागर की है । यहा गरीबो की नहीं की किसी ने भी सहायता, जब  मीडिया के सामने मामला आया तब  दबाव में स्वास्थ विभाग ने आनन् फनान में की शव वाहन की व्यवस्था, दरअसल  मानवता को शर्मसार करने वाला यह वाक्या बिलासपुर के पेंड्रा में हुआ है जहां शव वाहन नहीं मिलने पर पिता ने 3 साल की मासूम बच्ची के शव को गोद में ही रख 40 किमी मरवाही के तेन्दुमुडा गाँव ले जा रहे थे । हद तो तब हो गई जब रास्ते में भी किसी ने मदद करने की जहमत भी नही उठाई ।

मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली यह घटना बिलासपुर जिले के मरवाही की है जहाँ तेंदुमुड़ा गाँव के रहने वाले दंपति विजय वर्मा और रीता वर्मा अपने 3 साल की मासूम बच्ची अंजनी को बीमार होने के कारण इलाज के लिये शनिवार 24 सितम्बर को पेंड्रा स्वास्थ्य केंद्र पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ के पास लाये थे जहाँ डॉक्टर ने बच्ची को निमोनिया होने की बात कहते हुए उसकी हालत गम्भिर होने की जानकारी दी, और बेहतर इलाज के लिये बिलासपुर ले जाने की सलाह दिया लेकिन गरीब मां बाप के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे जिसके कारण बिलासपुर नही ले गए और वे बच्ची को डॉक्टर के पास सोमवार को सुबह फिर से लाये जहां बच्ची की मौत हो गयी।

मौत के बाद बच्ची को मां बाप ने जिनके पास पर्याप्त पैसा और साधन नहीं होने के कारण वे लोग बच्ची के शव को गोद मे लेकर 40किलोमीटर दूर घर ले जाने के लिये निकल गये रास्ते में भी किसी ने इनकी मदद नहीं की। बच्ची की लाश को गोद में उठाकर ले जा रहे मां बाप पर स्थानीय मीडियाकर्मियों की नजर पड़ी तो मीडियाकर्मियों ने मृत बच्ची और उनके परिजनों को पेंड्रा के सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाये और उनके पहल पर स्वास्थ्य विभाग ने मृतक बच्ची को ले जाने के लिये शव वाहन की व्यवस्था की पर शव वाहन को देरी होने के कारण स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल एक निजी वाहन की व्यवस्था किया तथा बच्ची के शव और परिजनों को मरवाही के तेन्दूमुड़ा गांव भेजा ।