अम्बिकापुर-
रक्षाबंधन का त्यौहार देश के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है । भारत वर्ष में तीज-त्यौहारों का मेला पूरे वर्ष भर लगा रहता है ताकि प्रेम सौहार्द की बेला कायम रहे । उनमें रक्षाबंधन अपने हीं सौन्दर्य में रंगा हुआ, एक अनूठा उत्सव है । यह भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्यौहार है । इस त्यौहार के कारण भाई-बहन में एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्य का आभास होता है । एक जिम्मेदारी का भाव आता है । सभी त्यौहार सामाजिक व्यवस्था को सुचारू बनाने एवं भावनात्मक दृष्टि से जुड़े रहने का सन्देश देते हैं राखी का यह पवित्र त्यौहार पवित्र सावन के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
अम्बिकापुर में रक्षाबंधन के पर्व की महत्वता को इस वर्ष बारिश की कसौटी से गुजरना पडा लेकिन तेज बारिश भी भाई बहन के प्रेम के इस पर्व को फीका नहीं कर सकी। दरअसल अम्बिकापुर में लगातार हो रही बारिस से जन जीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त है लोगो का घरो से बाहर निकलना मुस्किल हो गया है लेकिन बारिस की वजह से भी बाजारों की रंगत कम ना पड़ी अम्बिकापुर के बाजार में तेज बारिस के साथ भाई बहन की भीड़ भी देखी गई।
और रक्षा बंधन के दिन भी तेज बारिस ने पर्व के उमंग पर पानी फेर दिया लेकिन मूसलाधार बारिस होने के बावजूद भी बहन अपने भाइयो को राखी बांधने पहुची।
गौरतलब है की अम्बिकापुर प्रतापपुर मार्ग में महान नदी का पुल टूट जाने से आवागमन बंद है और प्रतापपुर से अम्बिकापुर आने के लिए लंबा रास्ता तय कर बनारस रोड से अम्बिकापुर आना पड़ रहा है। जबकी बनारस मार्ग के भी पुल पुलिया क्षतिग्रस्त है लेकिन उस मार्ग को अस्थाई व्यवस्था बनाकर चालू किया गया है। इसके बावजूद भी लगातार हो रही मूसलाधार बारिस में प्रतापपुर के रविन्द्र (बबलू) खतरों को मोल लेते अपनी मोटरसाइकल से भीगते हुए अम्बिकापुर अपनी बहन के घर राखी बंधवाने पहुचे। और ना जाने इनके जैसे कितने भाई बारिस के कहर से जूझते अपनी बहनों से मिलने पहुचे होंगे। बहरहाल यहाँ के लोगो का रक्षाबंधन के प्रति यह उत्साह इस पर्व की मत्वता को दर्शाता है। हालाकी बारिस इतनी अधिक हुई की पूरे शहर का माहौल भयावह बना रहा लेकिन अम्बिकापुर की बहन और भाइयो का उत्साह फिर भी कम नहीं हुआ।