अंबिकापुर-आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला के मूल निवासी माने जाने वाले पहाडी कोरवा और पण्डो जाति , जिसे भारत सरकार ने वर्षो पू्र्व संरक्षित घोषित करते हुए , उन्हे समाज की मूल धारा से जोडने के लिए कई परियोजना लागू किया है। जिसके तहत प्रति वर्ष करोडो रुपया इनके विकास के नाम पर खर्च किया जाता रहा है,, लेकिन वास्तविकता के धारातल मे ये जनजातिय़ां आज भी विकास की राह टटोल रही है।
वर्षो पूर्व आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डाँ राजेन्द्र प्रसाद ने इन्हे समाज की मूलधारा से जोडने के लिए अपनी चिंता व्यक्त की थी। जिसके तहत डाक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने इनकी तकलीफो औऱ जरुरतो को जानने के लिए खुद अविभाजित सरगुजा के पण्डोनगर पंहुचे थे, यही नही राष्ट्रपति महोदय ने दो दिन वो एक रात इनके साथ बिताई थी। और इन्हे काफी करीब से जानने का प्रयास किया था। आजाद भारत मे शायद ये पहला और अंतिम मौका था,, जब इतने बडे गणराज्य का प्रथम व्यक्ति इन्हे जानने के बाद इन्हे गोद लेते हुए , इन्हे अपना दत्तक पुत्र घोषित कर दिया। तब से पण्डो और पहाडी कोरवा जाति के लोग राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने लगे। समाज के मूलधारा से जोडने के लिए राष्ट्रपति के दिशा निर्देश पर कई परियोजना बनाई गई और लागू किया गया, जिसके तहत अविभाजित सरगुजा मे करोडो रुपए पानी की तरह बहा तो दिए गए, लेकिन उनकी स्थिती किसी से छुपी नही है। परियोजना आज भी चल रही है, बजट आज भी इनके नाम से आता है खर्च होता ,लेकिन सोचने की बात यह कि इनका विकास रुक सा गया है।
हांलाकि राज्य सरकार के आदेशानुसार पहली बार सरगुजा मे इन संरक्षित जाति के लोगो को सरकारी नौकरियो मे जगह देने के लिए कलेक्टर ने पहल की है। जिसके तहत पहाडी कोरवा महिला पुरुष जो कि मात्र पांचवी तक भी पास है , उन्हे भृत्य व चौकीदार ,रसोईया के पद पर सीधी भर्ती कर दी जा रही है। जो शायद इनके लिए काफी खास रहा है, एक विश्वास बना है, जो शायद काफी पहले होना था,, लेकिन आजादी के बाद से आज तक आए सैकडो कलेक्टरो मे से आर प्रसन्ना ने कोरवा औऱ पण्डो के सपने को साकार किया। कलेक्टर की इस पहल ने ना केवल उनको मुख्यधारा से जोडने का काम किया है,, बल्कि सरकार और इन जनजाती के बीच सेतु का काम किया है। कलेक्टर के इस प्रयास की प्रशंसा हर तरफ हो रही है, जिसमे ये संदेश दिया कि ये समाज इनके लिए भी है।