अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में तब भी कुछ ठीक नहीं चल रहा था जब वह सत्ता में थी, और अब भी ठीक नहीं चल रहा है जब वह विपक्ष में है। यह समाचार इसी विषय से जुड़ा है। दरअसल, आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की राजनीति की उप राजधानी कहे जाने वाले अम्बिकापुर के दौरे पर थे। इस दौरान अम्बिकापुर (सरगुजा) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष समेत कई वरिष्ठ कांग्रेसी उनसे मिलने भी नहीं गए। जबकि भूपेश बघेल के दौरे की खबर जंगल में आग की तरह फैली थी और सबको खबर थी। छत्तीसगढ़ के सरगुजा कांग्रेस जिला अध्यक्ष अपनी बेबाक भाषा शैली और अड़ियल रवैया के लिए हमेशा से चर्चा में रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अम्बिकापुर आगमन को लेकर सरगुजा कांग्रेस जिला अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक का बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। जिला अध्यक्ष के वक्तव्य से स्पष्ट शब्दों में समझ आ रहा है कि, उनका कहना है कि वे बिना बुलाए किसी के यहां नहीं जाते, चाहे वह टीएस बाबा का घर हो या शंकरघाट। उन्होंने खुद को स्वाभिमानी पंडित बताते हुए यह साबित कर दिया कि आत्मसम्मान उनके लिए सबसे ऊपर है।
दरअसल, भूपेश बघेल के अम्बिकापुर दौरे के दौरान सरगुजा जिला कांग्रेस कमेटी के कुछ पदाधिकारियों द्वारा उनसे मुलाकात नहीं किए जाने को लेकर सवाल उठे थे। शायद इसी संदर्भ को लेकर उनकी प्रतिक्रिया का अर्थ था कि, उन्हें आमंत्रण नहीं मिला तो वे मिलने नहीं गए। मतलब इस बात को पूरी तरह व्यक्तिगत सम्मान और मर्यादा से जोड़ा जाए तो पार्टी के भीतर भी आत्मसम्मान के साथ ही काम किया जाना चाहिए।
जिला अध्यक्ष के इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर सियासी हलचल तेज हो गई है। उनके बयान को संगठनात्मक अनुशासन और आपसी समन्वय से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं कुछ लोग इसे आंतरिक असंतोष के संकेत के रूप में भी देख रहे हैं। फिलहाल, भूपेश बघेल के दौरे और इस बयान ने सरगुजा की राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है।
