
बीजापुर। जिले में इस वर्ष धान उपार्जन की प्रक्रिया अपेक्षाकृत बेहतर और सुव्यवस्थित तरीके से संचालित हो रही है, जिससे किसानों में संतोष का माहौल बना हुआ है। जिले के 30 धान उपार्जन केंद्रों के माध्यम से अब तक 2841 किसानों से कुल 16 हजार 43 मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है। उपार्जन केंद्रों पर व्यवस्था सुचारू रहने के कारण किसानों को किसी प्रकार की अव्यवस्था या परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है और धान विक्रय का कार्य सहजता से संपन्न हो रहा है।
हालांकि खरीदी व्यवस्था सुचारू होने के बावजूद धान उठाव की धीमी रफ्तार ने खरीद प्रभारियों की चिंता बढ़ा दी है। वर्तमान में जिले में केवल दो पंजीकृत मिलर ही धान उठाव का कार्य कर रहे हैं। अंतर-जिला मिलरों के अपने जिलों का उठाव पूरा होने के बाद ही मार्च या अप्रैल माह में बीजापुर पहुंचने की संभावना है। ऐसे में लंबे समय तक उपार्जन केंद्रों में रखा धान सूखती का शिकार हो सकता है, जिससे नुकसान की आशंका बनी हुई है।
उपार्जन केंद्रों में सूखती मान्य नहीं होने के कारण समितियों पर धान की कमी का जोखिम अधिक रहता है, जबकि संग्रहण केंद्रों में सीमित सूखती को मान्यता दी जाती है। इसके बावजूद अब तक जिला विपणन अधिकारी द्वारा संग्रहण केंद्रों में भंडारण के लिए परिवहन आदेश जारी नहीं किए गए हैं। विभागीय स्तर पर यह आशंका जताई जा रही है कि यदि उठाव की समस्या बनी रही तो संग्रहण केंद्रों में भी इसी तरह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
पिछले वर्ष कलेक्टर द्वारा स्वयं धान उठाव की नियमित मॉनिटरिंग किए जाने से समितियों को काफी राहत मिली थी, हालांकि इसके बावजूद केवल सात उपार्जन केंद्रों में ही शून्य कमी दर्ज हो सकी थी। इस वर्ष भी समिति प्रबंधकों को कलेक्टर के सक्रिय हस्तक्षेप की उम्मीद है। यदि समय रहते संग्रहण केंद्रों में धान उठाव के लिए परिवहन आदेश जारी कर दिए जाते हैं, तो जिले के सभी उपार्जन केंद्रों में शून्य कमी का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
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