
@संजय यादव
जांजगीर चांपा। जांजगीर चांपा विधान सभा में 1998 से एक संयोग रहा कि हर एक विधानभा चुनाव के बाद जनता विधायक बदल देती हैं। लगातार दो बार किसी विधायक को मौका नहीं मिला। एक बार बीजेपी तो एक बार कांग्रेस की जीत हुई। 1998 से लगातार बीजेपी ने नारायण चंदेल को मौका दे रहा हैं तो कांग्रेस ने 2023 में अपने प्रत्याशी के बदलाव कर बीजेपी से बसपा और फिर कांग्रेस में आए व्यास कश्यप को मौका दिया। जिसमें वे नेताप्रतिपक्ष नारायण चंदेल को 7 हजार से ज्यादा वोटो से हराकर विधायक बने। व्यास कश्यप राजनीति के पुराने खिलाड़ी रहें हैं. राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से किए है. वे मूलतः पूर्व में संघ के कार्यकर्ता रहे है,बीजेपी पार्टी में नपा उपाध्यक्ष से लेकर पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने का तजुर्बा हैं। कांग्रेस सरकार में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के गुड बुक में रहे जिसके चलते उन्हें कांग्रेस पार्टी में आते ही मंडी अध्यक्ष का मद मिल गया। वर्षों से पुराने कांग्रेसियों को पछाड़ते 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट भी ले आए।
अब प्रदेश में बीजेपी सरकार से दो वर्ष पूरे हो गए साथ ही इस जिले के सभी विधानसभा के विधायकों का कार्यकाल भी दो वर्ष पूरा हो गया है.आईए जानते हैं अपने क्षेत्र के विधायकों का रिपोर्ट कार्ड ,दो वर्षों में विधायकों का क्या हाल हैं,जनता के भरोसे पर कितना खरे उतरे हैं,जनता को कितना समय देते हैं और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर कितना गंभीर रहते है. जानते है जांजगीर चांपा विधानसभा के मौजूदा विधायक व्यास कश्यप का हाल चाल…
शुरू करते हैं जांजगीर चांपा विधानसभा के विधायक का रिपोर्ट कार्ड…जांजगीर चांपा विधानसभा में मौजूदा विधायक कांग्रेस के व्यास कश्यप हैं.जिन्होंने बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को हराकर विधायक बने हैं. व्यास कश्यप का राजनीति जीवन में बहुत उठाव चढ़ाव रहा. जिसके चलते वे राजनीति को बखूबी समझते है. लंबे समय से राजनीति का अनुभव है. इनके दो वर्षों का कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देखे तो इनका क्षेत्र में कामकाज लगभग ठीक-ठाक है. जितनी राशि विधायकों को प्राप्त होती है उस राशि से ग्राम पंचायतों में रोड़,सामुदायिकभवन,पानी,लाइट का व्यवस्था किए हैं.
कार्यालय में समय के अनुसार हमेशा जनता से जनसंपर्क करते हैं.हफ्ते में अगर किसी निजी कार्यक्रम को छोड़ दे तो ज्यादातर जनता से अपने विधायक कार्यालय में रोजाना भेंट मुलाकात कर हालचाल पूछते है, उनकी समस्या को सुनते हैं. क्षेत्र की जनता को आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए जनता अपने विधायक से खुश नजर आ रहे हैं. वहीं क्षेत्र के विकास कार्य को लेकर विपक्ष में होने के कारण लोगों के काम को कराने का प्रयास करते हैं। लेकिन विपक्ष होने का रोना रोते हैं।
क्षेत्र के जनता की समस्याओं के लिए वे रोड़ की लड़ाई लड़ने तैयार रहते हैं. कई गंभीर विषयों को वे विधानसभा में उठाते भी हैं. लेकिन विपक्ष में होने के कारण बड़ा विकास कार्य स्वीकृत कराने में नाकाम साबित होते हैं. उनका आरोप है कि विपक्ष में होने के कारण सरकार उनकी मांग को गंभीरता से नहीं सुनती। उनके प्रयास से हालांकि चांपा के हसदेव नदी में गेमन पुल,टुंडी नाला, कई गांव की महत्वपूर्ण रोड़ की स्वीकृत हाल ही में प्राप्त हुई। किसान होने के कारण खेती किसानी की जानकारी अच्छी तरह रखते हैं जिसके कारण अपने क्षेत्र के किसानों के लिए खाद,बीज,सिंचाई की समस्या के लिए हमेशा आगे खड़े रहते हैं.
विधायक व्यास कश्यप के साथ पार्टी संगठन का तालमेल ठीक हैं। पार्टी के पदाधिकारीयो का भी सहयोग भी उन्हें समय समय पर मिलता रहता हैं। हालांकि अंदरुनी गुटबाजी के कारण उनके विधान सभा क्षेत्र में संगठन में उनका दखल कम दिखाई देता है। उनके कार्यकर्ता उनसे संतुष्ट नजर नहीं आते , हालांकि इनका प्रयास रहता है किसी प्रकार की नाराजगी न रहे. अपने सरल, खुला मिजाज छवि के कारण जनता से जल्दी घुल मिल जाते हैं। दो वर्षों में उनका रिपोर्ट कार्ड में संतुष्टि कम चुनौती ज्यादा दिखाई दे रहा हैं। हालांकि क्षेत्र की जनता उन्हें दोबारा विधायक के रूप में देखना चाह रही हैं। अब देखना होगा आने वाले चुनौतियों में कितना खरा उतरते हैं।
उनके लिए क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती शहर विकास,पेयजल पूर्ति,शहर की सीवरेज सिस्टम, शहर में साफ सफाई, किसानों के फसल को बेचने में किसी प्रकार की समस्या न आए इसकी व्यवस्था कराना, विद्यार्थियों के लिए जर्जर महाविद्यालय से मुक्त करा कर नए कॉलेज का निर्माण कराना व नैला ओवर ब्रिज, सहित मुख्यालय के रोड़ का चौड़ीकरण के अलावा यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना होगा। विधायक से क्षेत्र की जनता को बहुत अपेक्षा हैं । लेकिन अब देखना होगा कि आने वाले 3 वर्षों में वे कितना पूरा कर पाएंगे। आने वाले समय में पार्टी उन्हें दोबारा मौका देती हैं तो उन्हें पिछले समय की अपेक्षा आने वाले समय बहुत मेहनत करना पड़ेगा। चूंकि आने वाले समय में एंटी इनकंबेंसी के अलावा सत्ता में सरकार नहीं होंगी, हर एक कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना होगा। कार्यकर्ताओं को एकजुट करके रखना होगा। वहीं अपने जनसंपर्क को और भी मजबूत करना होगा।



