लडखडाती सांसो को है ऑक्सीजन का इंतजार…

एक ऑक्सीजन के भरोसे कई वार्ड के मरीज, गंभीर स्थिति होने पर परिजन को करनी पड़ती है व्यवस्था

अम्बिकापुर

“दीपक सराठे”

सरगुजा को मेडिकल कॉलेज की मान्यता मिलने के बाद जिला अस्पताल की व्यवस्था पर से अधिकरियों ने मानों मुंह मोड़ लिया है। सभी अधिकारी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था बनाने में जुट गये है। दूसरी ओर अव्यस्था के शिकार मरीज व उनके परिजन अस्पताल से मिलने वाली सुविधा को खुद वहन कर रहे है। ताज्जुब होगा यह जानकार कि इतने बड़े अस्पताल में जहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में गंभीर पहुंचते है, वहां ऑक्सीजन सिलेण्डर का इस कदर टोटा बना हुआ कि कई वार्ड मात्र एक ऑक्सीजन सिलेण्डर के भरोसे है। ऐसे में एक साथ कई गंभीर मरीजों की लडखडाती सांसों को अस्पताल का स्टाफ कैसे थाम पायेगा यह समझा जा सकता है। प्रबंधन को इतनी गंभीर बात की जानकारी न हो यह भी कहा नहीं जा सकता। ऐसी परिस्थिति में एक साथ अगर कई गंभीर मरीज पहुंचते है तो विवाद की स्थिति को रोक पाना संभव नहीं होगा।
ज्ञात हो कि अभी हाल ही में सरगुजा को सौ सीट के लिए मेडिकल कॉलेज के रूप में मान्यता मिली है। इस लिहाज से जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज के अनुरूप ढालने की कवायद में पूरे अधिकारी लगे हुये है। इन सब के बाद भी वहां दाखिल होने वाले मरीजों को कई सुविधाओं के लिए अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ रही है। वर्तमान की बात करे तो अस्पताल में गंभीर मरीजों के सांसो की डोर थामने के लिए उपलब्ध ऑक्सीजन सिलेण्डरों का टोटा बना हुआ हैं। प्रबंधन के द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं देने के कारण स्थिति ऐसी बन गई है कि कई वार्ड मात्र एक सिलेडर के सहारे चल रहे है। वार्ड के स्टाफ द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सर्जिकल एक, दो व तीन वार्ड के लिए मात्र एक ऑक्सीजन सिलेडर है जो दो दिन बाद बड़ी मुश्किल से नर्सो की कोशिश के बाद उपलब्ध कराया गया है। इसी प्रकार महिला मेडिकल के दो वार्डो में एक ऑक्सीजन सिलेडर उपलब्ध है जो शुक्रवार को सीताराम वार्ड में एक गंभीर मरीज को दे दिया गया था। सीताराम वार्ड में एक भी ऑक्सीजन सिलेण्डर नहीं होने पर नर्सो ने दूसरे वार्ड से सिलेण्डर की व्यवस्था कर मरीज को उपलब्ध कराया। इसी प्रकार की अव्यवस्था शिशु वार्ड में निर्मित है। पूर्व में भी शिशु वार्ड में ऑक्सीजन सिलेडर नहीं होने पर एक शिशु की जान चली गई थी।

भोजन की राशि बढ़ी लेकिन व्यवस्था चरमराई
मेडिकल कॉलेज की मान्यता प्राप्त जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिये जाने वाले भोजन को और भी बेहतर करने के लिए पहले की अपेक्षा प्रत्येक मरीज को मिलने वाले भोजन की राशि में वृद्धी की गई है। पहले जहां प्रत्येक मरीज को एक दिन में 60 रूपये का भोजन मिलता था। उसे बढ़ाकर अब प्रत्येक मरीज को 100 रूपये का भोजन दिये जाने की व्यवस्था की गई है। लेकिन अब पहले की अपेक्षा मरीजों को दिये जाने वाला भोजन का स्तर और नीचे गिर गया है। सूत्रों की माने तो 60 रूपये का भोजन अब दिये जा रहे भोजन से कहीं अच्दा था। हालांत यह है कि कई बार तो मरीजों को दोपहर का भोजन शाम को नसीब होता है, और नास्ता तो कभी कभार ही मिल पाता है।

नीचे पढिए क्यो टापू बन गए गांव 

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