
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में बुधवार रात हुई मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर राष्ट्रीय राजमार्ग-43 (NH-43) की पोल खोल दी। केवची और पीपरखुटी के बीच कौहा नाला में बने दोनों डायवर्शन पुल बह जाने से पेंड्रा-अमरकंटक और अमरकंटक-बिलासपुर मार्ग पूरी तरह से ठप हो गया है। इसका सबसे ज्यादा असर उन श्रद्धालुओं पर पड़ा है जो अमरकंटक से दर्शन कर लौट रहे थे, और अब केवची में फंसे हुए हैं।
टाइगर रिजर्व का रास्ता ही विकल्प, लेकिन उस पर भी रोक
वर्तमान में, इस मार्ग पर फंसे यात्रियों के पास अचानकमार टाइगर रिजर्व होते हुए निकलने का ही विकल्प बचता है, लेकिन यह रास्ता भी प्रतिबंधित श्रेणी में आता है और आम आवागमन की अनुमति नहीं है। ऐसे में सैकड़ों वाहन और श्रद्धालु दोनों तरफ से फंसे हुए हैं, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं।
पहले भी बह चुका है पुल, फिर नहीं लिया सबक
गौरतलब है कि यह वही स्थान है जहां बारिश की शुरुआती दौर में ही डायवर्शन पुल पहले भी बह चुका था। उस समय भी आवागमन कई दिनों तक बाधित रहा था। अब एक बार फिर वही कहानी दोहराई जा रही है, जिससे नेशनल हाईवे विभाग, ठेकेदार और संबंधित इंजीनियरिंग अधिकारियों की लापरवाही उजागर हो रही है।
स्थानीय लोगों और यात्रियों का आरोप है कि लगातार दो बार पुल बहने के बावजूद कोई वैकल्पिक मार्ग तैयार नहीं किया गया, और न ही बरसात से पहले सुरक्षा के स्थायी उपाय किए गए।
प्रशासन हालात पर नजर रखे हुए
प्रशासन और NH विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं, और जल्द से जल्द डायवर्शन मार्ग की मरम्मत या वैकल्पिक व्यवस्था की कोशिश की जा रही है। लेकिन फिलहाल यात्रियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर उन्हें जो बिलासपुर से अमरकंटक या अमरकंटक से बिलासपुर की ओर यात्रा कर रहे थे।
अब लंबा सफर ही विकल्प
रास्ता बंद हो जाने के कारण अब यात्रियों को लंबा घुमावदार रास्ता पकड़ना होगा, जो सफर को न केवल समय-consuming बना रहा है, बल्कि ईंधन और संसाधनों पर भी अतिरिक्त बोझ डाल रहा है।