
Vivekanand Smriti Divas: एक ऐसा व्यक्ति जो किताबो को एक बार पढ़ कंठस्थ कर लेता था, वो जिस की बात सुनने देशभर से लोग एकत्रित हो जाते थे। जिसने 1893 में शिकागो जाकर पूरे देश का परचम लहराया था, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य, 1863 में कोलकाता की गलियों से निकले नरेन्द्र नाथ दत्त, दुनिया इन्हें स्वामी विवेकानन्द के नाम से जानती है।
जहां एक आम व्यक्ति को खुद को संभालने में ही अनेक दशक लग जाते हैं। स्वामी विवेकानन्द 39 की छोटी उमर में, पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ देह त्याग कर गये थे। हम सब इनके बारे में बचपन से पढ़ते आए हैं, पर ताज्जुब की बात ये है कि ये पहले ही बोल चुके थे कि 40 की उमर तक जिंदा नहीं रहेंगे।
वही हुआ, 4 जुलाई 1902, 39 वर्ष 5 महीने में ध्यान करते वक्त उन्होंने पद्मासन में अपना शरीर छोड़ दिया। ये इतना अचानक था कि उनके सबसे पास के लोग भी अचंभे में थे। बाद में उनका अंतिम संस्कार गंगा किनारे हुआ, वहीं जहां स्वामी रामकृष्ण का सालों पहले हुआ था।
मगर आज भी उनकी राह और सीखों को रामकृष्ण मिशन के माध्यम से दुनिया भर में पीढ़ी से पीढ़ी फेलाया जा रहा है। इसलिए देशभर में 4 जुलाई को विवेकानन्द स्मृति दिवस के तौर पर मनाता है।
बेलूर मठ में आज के दिन बड़ी पूजा की जाती है और भंडारे भी आयोजित होते हैं। साथ ही साथ, देश भर के सारे रामकृष्ण मठो में कई पूजा, रक्तदान शिविर, धार्मिक बातें भी कराई जाती हैं इसी लिए हर साल 4 जुलाई को देश उन्हें याद करता है। एक ऐसे संत को, जिन्होंने न केवल भारत को जगाया, बल्कि पूरी दुनिया को बताया कि भारत क्या है।