
अम्बिकापुर/पारसनाथ सिंह. छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में लगातार हो रही बारिश लोगों के लिए आफत बन गई है, लेकिन सबसे बड़ा संकट खुद सरकार की लापरवाही बन चुकी है. विकास और चमकदार सड़कों के वादे करने वाली सरकार का असली चेहरा अब बारिश में पूरी तरह उजागर हो गया है. अम्बिकापुर से लगे नेशनल हाईवे-343 की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब वह हाईवे कम और खतरे से भरा तालाब ज़्यादा नजर आता है.

ग्राम असोला के पास नेशनल हाईवे-343 पर सड़क में इतने बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं कि उनमें बारिश का पानी भरकर सड़क को ही गायब कर दिया है. हालात यह हैं कि आम राहगीरों से लेकर भारी वाहन तक जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजर रहे हैं. सड़क की मरम्मत के नाम पर केवल लीपापोती की गई, बारिश से पहले किए गए पैच रिपेयरिंग का हाल एक महीने भी नहीं टिक सका. नतीजा, सड़क फिर उखड़ गई और सरकार की गुणवत्ता की पोल खुल गई.
स्थानीय लोग और राहगीर हर दिन इस बदहाल रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं. आए दिन छोटे-बड़े हादसे हो रहे हैं, लेकिन न तो शासन को परवाह है और न ही प्रशासन को. सवाल उठता है कि क्या सरकारें केवल वादे करने और पोस्टर छपवाने के लिए बनती हैं? कागजों में सड़कें चमचमाती हैं, धरातल पर सिर्फ कीचड़, गड्ढे और जिंदगी से खिलवाड़.

नेशनल हाईवे-343 की मरम्मत को लेकर कई सालों से सरकारें केवल घोषणाएं करती आ रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी वैसी की वैसी है. हर चुनाव से पहले इस सड़क की मरम्मत का वादा किया जाता है, लेकिन काम शुरू होने के नाम पर जनता को गुमराह किया जाता है. जिस हाईवे पर रोज़ाना हजारों लोग सफर करते हैं, सरकारें उसी पर सबसे ज़्यादा आंख मूंदे बैठी हैं.
सरकार बताए कि ये किसका ‘अच्छे दिन’ है? क्या आम जनता को केवल वोट देने के लिए ही जिंदा रखा गया है? जब सड़क जैसी बुनियादी सुविधा भी सरकार मुहैया नहीं करा सकती तो फिर इन झूठे विकास के नारों का क्या मतलब?