
अम्बिकापुर. उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय अंतर्गत ग्राम तकिया स्थित सूफी संत हज़रत सैयद बाबा मुरादाबाद व मोहम्मद शाह वली रहमतुल्लाह अलैह के मजार शरीफ में इस वर्ष 20, 21 व 22 मई को 152वां सालाना उर्स पाक धूमधाम से मनाया जाएगा. इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर तैयारियां ज़ोरों पर हैं. इसी कड़ी में अंजुमन कमेटी अम्बिकापुर द्वारा शुक्रवार को ग्राम तकिया में प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसमें उर्स की रूपरेखा और तैयारियों की जानकारी साझा की गई.
अंजुमन कमेटी के सदर इरफान सिद्दीकी ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी उर्स पाक का आयोजन श्रद्धा, सौहार्द और अकीदत के साथ किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन सरगुजा की ओर से आयोजन को लेकर भरपूर सहयोग मिल रहा है. ग्राम तकिया में पेयजल आपूर्ति का कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि सड़क मरम्मत व सौंदर्यीकरण कार्य जारी है. उर्स के दौरान सुरक्षा और यातायात की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है.
पहली बार सभी मस्जिद कमेटियाँ एक मंच पर
अंजुमन कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष दानिश रफीक ने बताया कि अम्बिकापुर के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है. जब नगर की सभी 13 मस्जिदों की कमेटियाँ एकमत होकर उर्स पाक के आयोजन में सम्मिलित हो रही हैं. यह सामाजिक और धार्मिक एकता का अनुपम उदाहरण है. उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय इस आयोजन में इस बार 60 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.
सम्मानित जनों की रही मौजूदगी
प्रेस वार्ता में गुड्डू सिद्दीकी, हाजी रहमत अली, हाजी यासीन, सन्नुवर अली, इरशाद खान, तनवीर हसन, हसीब खान, पीकू खान, नौशाद सिद्दीकी, रिजवान सिद्दीकी, राजू हसीब खान, इमरान सिद्दीकी, अनिक खान, इरफान खान, सिकंदर खान, मजहर अख्तर फ़िरदौसी, अजहर, सोनू, मोनू, तहसीन अख्तर, पप्पू खान, इमरान खान सहित समाज के कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे.

हर मुराद होती है पुरी
अम्बिकापुर नगर के उत्तर-पूर्व की ओर तकिया गांव है और इसी गांव में बाबा मुरादशाह वली और बाबा मोहब्बतशाह वली के साथ एक छोटी मजार भी है. जिसे उनके तोते की मजार भी कहा जाता है. इस मजार पर दुआ मांगने के लिए सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग इकठ्ठा होते हैं.मजार पर चादर चढ़ाते हैं, लोग मन्नते मांगते हैं. बाबा मुरादशाह अपने मुरादशाह नाम के मुताबिक मुरादें भी पूरी करते हैं. मजार के पास ही देवी स्थान भी है, जो सांप्रदायिक सौहार्द का जीवंत उदहारण है. कहां जाता है बाबाओं के मजार शरीफ में हर दुख तकलीफ का इलाज होता है. लगभग 400 से 500 साल पुरानी इस मजार पर हर जाति-धर्म के लोग आते हैं.अम्बिकापुर के तकिया मजार में आने वाले लोग बाबा से दुआ मांगने के साथ-साथ तोते की मजार पर भी चादर चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं.ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वो कुबूल होती हैं. लोग मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों से यहां दर्शन करने आते हैं.
पीर बाबाओं के कारनामे
दंतकथाओं में यह भी बताया जाता है कि आज से सेकंडों साल पहले जब हजरत बाबा मुराद्शाह वली व मोहब्बत शाह वली अम्बिकापुर के तकिया ग्राम पहुंचे थे. उस दौरान वे एक गरीब कुम्हार के घर रुके थे उस दिन कुम्हार के घर चुल्हा नहीं जला था. लोगों के चेहरे पर एक डर था हजरत बाबा मुरादशाह वली ने जब कुम्हार से इसका कारण पूछा तो कुम्हार ने बताया कि बाकी पहाड़ी पर एक राक्षसी रहती है. जो हर दिन गांव के एक व्यक्ति की बलि लेती है, आज मेरे एकलोता पुत्र की बारी है. ये बात सुनते ही हजरत बाबा मुरादशाह वली ने कहा कि तुम चिंता मत करो, घर में चूल्हा जलाओ. खाना बनाओ और मुझे भी खिलाओ. आज मैं आपके बच्चे की जगह उस पहाड़ पर जाऊंगा. हजरत बाबा मुरादशाह वली ने कुम्हार के घर पर भोजन किया, और पहाड़ की तरफ चल पड़े. जैसे ही बाबा पहाड़ पर पहुंचे. राक्षसी हजरत बाबा मुराद्शाह वली को खाने का प्रयास करने लगी. तब बाबा ने अपने चिमटे से राक्षसी के नाक और कान को पकड़कर दबा दिया और उसकी नाक कट गई. राक्षसी द्वारा पानी मांगने पर बाबा मुरादशाह वली ने अपने चिमटे से पहाड़ खोदकर पानी निकाला. जिसे वर्तमान में बांक नदी के नाम से जाना जाता है. बाबा के चमत्कार से प्रभावित राक्षसी वहीं रहना चाहती थी. उसकी बात मानकर बाबा मुरादशाह ने उसे अपने साथ रख लिया. तभी से बाबा के मजार के पीछे मंदिर बनाया गया. जिसे नक्कटती देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है.