
अम्बिकापुर। सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के ग्राम मिर्गाडांड में विशेष संरक्षित पण्डो जनजाति की एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने तत्परता दिखाते हुए 102 एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन तब तक प्रसव पीड़ा इतनी तेज़ हो गई कि महिला ने घर पर ही दाई की मदद से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे दिया।
परिजन नवजात को तत्काल 102 एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) उदयपुर लेकर पहुंचे। शुरुआती जांच में शिशु की स्थिति सामान्य पाई गई, लेकिन थोड़ी देर बाद उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। सीएचसी में तैनात डॉक्टर ने हालात गंभीर देख दोपहर लगभग 3 बजे उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
यहीं से शुरू होती है सिस्टम की असंवेदनशीलता की असली कहानी – 108 एम्बुलेंस को बार-बार कॉल किए जाने के बावजूद शाम तक कोई मदद नहीं पहुंची। परिजन हर मुमकिन कोशिश करते रहे, लेकिन चार घंटे तक इंतजार करने के बाद शाम 6 बजे मासूम ने दम तोड़ दिया।
रोते-बिलखते परिजन बोले – अब एम्बुलेंस किसके लिए?
दिल दहला देने वाली बात यह रही कि रात 8 बजे एम्बुलेंस स्टाफ का कॉल आया कि वे रवाना हो रहे हैं और परिजन तैयार रहें। इस पर टूट चुके पिता ने कहा, “अब किसके लिए आएंगे आप? बच्चा तो चला गया।”
आखिरकार रात 11 बजे परिजन मां और मृत नवजात को बाइक पर लेकर गांव लौटे। ये घटना सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की लाचारी का आईना है।
बीएमओ ने कहा – जांच के बाद होगी कार्रवाई
सीएचसी उदयपुर के बीएमओ डॉ. योगेंद्र पैकरा ने कहा, “मामले की जांच की जाएगी। यह देखा जाएगा कि देरी किस स्तर पर हुई और लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है।”
वहीं मितानिन मानकुंवर ने बताया कि अगर समय पर एम्बुलेंस मिल जाती, तो शायद नवजात की जान बच सकती थी। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।