
अम्बिकापुर..(उदयपुर/क्रांति रावत)..सरगुजा जिले के रामगढ़ सहित उदयपुर वन परिक्षेत्र के कई हिस्सों में भीषण आग लगी हुई है, जिससे वन्यजीवों और पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आग लगने के पीछे महुआ बीनने वालों की लापरवाही और कुछ असामाजिक तत्वों की संलिप्तता बताई जा रही है। आग की भयावह लपटों ने रामगढ़ पहाड़ी को लगभग स्वाहा कर दिया है, जिससे जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं का अस्तित्व संकट में आ गया है।
कीट-पतंगों से लेकर छोटे जीव-जंतु जलकर हो रहे नष्ट
इस आग में न केवल बड़े वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि असंख्य कीट-पतंगे, छोटे जीव-जंतु और पक्षी भी जलकर नष्ट हो रहे हैं। प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर इसका गहरा असर पड़ रहा है, जिससे जंगलों की जैव विविधता को भारी नुकसान हुआ है।
आग से घबराए वन्यजीव पहुंच रहे शहर की ओर
जंगल में लगी आग के चलते वन्यजीव रिहायशी इलाकों की ओर भागने लगे हैं। खाने की कमी के कारण भालू और बंदर आक्रामक हो रहे हैं। बंदर पर्यटकों से भोजन छीनने लगे हैं और कई बार गाड़ियों के ऊपर झुंड बनाकर बैठ जाते हैं।
युवा मित्र मंडली के सदस्य भालुओं से आमने-सामने
आग बुझाने के दौरान युवा मित्र मंडली के सदस्य तीन भालुओं के सामने आ गए, हालांकि वे किसी तरह सुरक्षित बच निकले।
रामगढ़ का ऐतिहासिक अस्तित्व भी खतरे में
रामगढ़ न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह क्षेत्र पुरातात्विक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन इस भीषण आग के कारण अब इसके अस्तित्व पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो रामगढ़ का ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्वरूप हमेशा के लिए नष्ट हो सकता है।
वन विभाग की कोशिशें जारी, लेकिन सफलता नहीं
वन विभाग के कर्मचारी वन प्रबंधन समिति के सहयोग से आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। इस आग से न सिर्फ वन्यजीव संकट में हैं, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर क्षति पहुंच रही है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी चिंता व्याप्त है।