अम्बिकापुर। माता राजमोहनी देवी के अनुयायी बड़ी संख्या में सरगुजा जिले के कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, जहाँ उन्होंने क्रिश्चियन राष्ट्रीय मोर्चा के आगामी 6 नवंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम का विरोध जताया। इस विरोध का नेतृत्व गोंड समाज के पदाधिकारियों ने किया, जिनका कहना है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से धर्मांतरण को बढ़ावा दिया जाएगा, जो माता राजमोहनी देवी के विचारों के विपरीत है।
धर्मांतरण के खिलाफ माता राजमोहनी के सिद्धांत
गोंड समाज के जिला उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि जिस भवन में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, वह भवन माता राजमोहनी देवी के नाम पर स्थापित है। माता राजमोहनी देवी ने हमेशा धर्मांतरण का विरोध किया था और अपने अनुयायियों को उनके मौलिक अधिकारों और मूल धर्म के प्रति जागरूक किया। उपेंद्र सिंह ने कहा, “माता राजमोहनी देवी का उद्देश्य हमेशा धर्मांतरण के खिलाफ था और उनके भवन में इस प्रकार का आयोजन करना उनके विचारों का अपमान है। हम इस कार्यक्रम को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।”
गोंड समाज का आरोप- भोले-भाले आदिवासियों को धर्मांतरण का प्रशिक्षण दिया जा रहा
गोंड समाज का आरोप है कि ईसाई समाज के इस कार्यक्रम में आदिवासियों को धर्मांतरण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उनके अनुसार, यह कार्यक्रम प्रदेश स्तरीय क्रिश्चियन महासभा है, जिसमें स्थानीय आदिवासी समुदाय को प्रभावित किया जा सकता है। गोंड समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे माता राजमोहनी के नारे “राम भजो भाई, गोविंदा भजो भाई” को बुलंद कर उनके सिद्धांतों की रक्षा करेंगे।
सरगुजा संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से जुटे अनुयायी
विरोध में सरगुजा संभाग के विभिन्न हिस्सों से गोंड समाज के प्रतिनिधि जुटे, जिन्होंने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर माता राजमोहनी देवी के विचारों की रक्षा का संकल्प लिया। उनका कहना है कि किसी भी परिस्थिति में वे इस भवन में धर्मांतरण से संबंधित कार्यक्रम नहीं होने देंगे और प्रशासन से आग्रह कर रहे हैं कि इस कार्यक्रम को रोका जाए ताकि आदिवासी समाज की भावना को ठेस न पहुंचे।