Hospital Parking, Ambikapur: सड़क किनारे.. बिना पार्किंग बना दिया अस्पताल… अब राहगीर परेशान और अस्पताल प्रबंधन मालामाल

Hospital Parking, Ambikapur: छत्तीसगढ़ का सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर एक समय में अपनी खूबसूरत जलवायु और बेहद शांत माहौल के साथ एक अच्छी ट्रैफ़िक व्यवस्था के लिए जाना जाता था, पर बढ़ती जनसंख्या के साथ बढ़ती गाड़ियों की संख्या से ना केवल जलवायु को प्रभावित किया है. बल्कि बिना पार्किंग व्यवस्था के बन रही इमारत ने ट्रैफ़िक को भी बेतरतीब किया है. इसमें सबसे बड़ा योगदान उन अस्पताल का है. जो इलाज के नाम पर अपने व्यवसाय को चमकाने के लिए, शहर के मेन रोड मे अस्पताल तो बना रहे है.. पर पार्किंग के लिए अस्पताल प्रबंधन ने सड़कों का चुनाव किया है. जो व्यवस्था बड़े हादसों को निमंत्रण दे रही है.

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अस्पताल रोड की बात

अम्बिकापुर शहर के अस्पताल रोड मे एक व्यवसायिक काम्पलेक्स में केवल और केवल अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर और दवा की दुकान का संचालन हो रहा है. जहां डाक्टर अपने एसी केबिन में बैठकर मोटी रक़म लेकर लोगों के इलाज के दावे कर रहे है. वहीं उनके अस्पताल के बाहर मरीज़ अपने वाहन उस सड़क पर खड़ी करके जा रहे है. जिस सडक से गरीब और असहाय मरीज़ ज़िला अस्पताल जाते हैं. साथ ही करीब पाँच से सात वार्ड के निवासी भी इसी सड़क से शहर के अंदर या फिर अपने घर आना जाना करते है. दरअसल मेडिकल कॉलेज अस्पताल रोड पर संचालित इस चिकित्सकीय काम्पलेक्स मे पार्किग की छोटी जगह तो है. पर इन ठिकानों के सामने आधी पार्किंग में स्टाफ़ और डाक्टर की गाड़ियाँ खडी रहती है, और फिर आधी पार्किंग भरते ही मरीज़ मजबूरी में अपने दो पहिया और चार पहिया वाहन सड़क में खड़ा कर देते हैं. कुल मिलाकर मसला ये है कि इस काम्पलेक्स में बेहतर पार्किंग सुविधा ना होने से मरीज़ और राहगीर दिनभर परेशान रहते है. और अस्पताल प्रबंधन की बल्ले बल्ले रहती है.

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ख़तरनाक बनारस रोड

जी हाँ! ख़तरनाक बनारस रोड, ऐसा इसलिए क्योकि पिछले एक दशक में बनारस रोड पर अम्बेडकर चौक से भगवानपुर बाज़ार के आगे तक शहर तेज़ी से बढ़ रहा है. वाहनों की आवाजाही भी उसी रफ़्तार से बढ रही है. इस रोड मे डिवाइडर नहीं होने से रोज़ाना हादसे होते है. और भविष्य में किसी बड़े हादसे की संभावना लगातार बनी हुई है. ऐसे में इस सड़क पर एक दो ऐसे अस्पताल हैं. जो नियमों को ताक में रखकर चार पाँच डिसमिल में अपना अस्पताल बना चुके है. पर पार्किंग की उनके पास कोई व्यवस्था नहीं है. इस प्रमुख मार्ग पर बीडीआई के आगे संचालित एक अस्पताल की वजह से तो ट्रैफ़िक व्यवस्था दिनभर बहुत बुरी तरह प्रभावित रहती है. यहाँ आने वाले मरीज मजबूरी में अपने वाहनों को बेतरतीब खड़ा कर देते हैं. जिससे फ़िलहाल आवाजाही में हो रही तकलीफ़ कल बड़े हादसे का स्कल ले सकती है. इसके बाद गांधीनगर बाज़ार के पास ही एक नया बना अस्पताल भी आने वाले समय मे बेतरतीब ट्रैफ़िक व्यवस्था का ज़िम्मेदार बनने को तैयार है.

रायगढ़ रोड का यही हाल

रायगढ़ रोड पर भारत माता चौक से दरिमा मोड़ तक सड़क की बदतर हालत किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में भारत माता चौक के पास संचालित एक अस्पताल का मुहाना भी हमेशा हादसों का न्यौता देते रहता है. इस बड़े इमारत वाले अस्पताल के सामने बेतरतीब खड़े वाहन ट्रैफ़िक व्यवस्था को प्रभावित करते है. यहाँ पर सड़क चौड़ी होने के बावजूद भी कभी कभी स्थिति ऐसी निर्मित हो जाती है कि यहाँ जाम लग जाता है और आने जाने वाले लोग बेवजह अपना समय ख़राब करने को मजबूर रहते हैं. इस अस्पताल के सामने भी वाहन खड़े करने की उतनी ही सुविधा है, जिसमें डाक्टर और स्टाफ़ अपनी गाड़ी खड़ी कर सके. बाँकी यहाँ इलाज कराने आने वाले मरीज़ के परिजन पार्किंग व्यवस्था के आभाव में अपना वाहन सड़क के दोनों ओर पार्क कर देते हैं. जिससे सड़क पार्किंग में तब्दील हो जाती है और ये स्थान हादसे का इंतज़ार करता रहता है.

अवैध रूप से संचालित

नगर निगम के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक अम्बिकापुर निगम क्षेत्र में संचालित करीब 90 प्रतिशत अस्पताल मनमाने तरीक़े से अस्पताल संचालित कर रहे है. क्योंकि अगर ये अस्पताल संचालन की अनुमति लेकर अस्पताल संचालित करते तो इनमें पार्किंग की सुविधा अनिवार्य रूप से होती है. इतना ही नहीं मिली जानकारी के मुताबिक़ अधिकतर अस्पताल व्यवसायिक अनुमति लेकर बिल्डिंग बनाते हैं और फिर उसमें अस्पताल संचालित कर रहे हैं. जबकि अस्पताल के लिए दी जाने वाली अनुमति में पार्किंग व्यवस्था के साथ अन्य शर्तें भी लागू होती है.

यातायात विभाग कहना

‘इस संबंध में अम्बिकापुर यातायात प्रभारी मनोज कैवर्ट का कहना है कि हमारे विभाग द्वारा लगातार अवैध पार्किंग पर कार्रवाई की जाती है. यातायात और निगम की संयुक्त टीम के साथ भी कार्रवाई की जाती रही है.’