हिन्दी दिवस 14 सितम्बर पर विशेष
वैज्ञानिक भाषा ‘‘हिन्दी’’ का बढ़ता महत्व
अम्बिकापुर(खबरपथ)हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। संसार मे संभवतः एकमात्र वैज्ञानिक भाषा हिन्दी ही है। यह भाषा जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी जाती है। इसके एक-एक अक्षर को अलग-अलग करके पढे या एक साथ जोड़कर पढ़ने में उसका उच्चारण एक सा ही होगा। यानि जैसा उच्चारण करते हैं वैसे ही लिखते हैं और जैसा लिखा जाता है पढ़ने में उसका उच्चारण वैसा ही होता है। इसे एक उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है- हिन्दी में ’’क म ल’’ अक्षर को अलग-अलग उच्चारण करें या एक साथ पढ़े दोनों एक समान हैं। जैसा लिखा वैसा उच्चारण। अब अंग्रेजी के किसी शब्द को लें जैसे Apple इसे अलग-अलग पढ़ने या जोड़ने पर अलग-अलग ही उच्चारण होता है। यानि अक्षर का उच्चारण अलग और शब्द बनने पर उच्चारण अलग।
हिन्दी भाषी क्षेत्रों में तो हिन्दी की महत्ता और आवश्यकता तो यथावत है ही, अब देश के गैर हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भी हिन्दी का महत्व बढ़ने लगा है। भाषा की जीवन्तता तो आपसी बोलचाल, आचार-विचारों के आदान-प्रदान, लेखन और अन्य कार्यो में उपयोग के कारण महत्वपूर्ण मानी जाती है। भारत विविधताओं में एकता का अनुपम उदाहरण है। राष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाने वाली अलग-अलग भाषाओं के बावजूद राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति सभी के मन में सम्मान और सीखकर बोलने की ललक भी है। दक्षिण भारत के लोगों द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार करने तथा अन्य क्षेत्र के लोगों द्वारा दक्षिण भारत का तीर्थाटन, व्यापार एवं पर्यटन की दृष्टि से यात्रा करने पर उनमें भी हिन्दी के प्रति आकर्षण में वृद्धि हुई है। वर्तमान में दक्षिण भारत में भी लोग कामकाजी हिन्दी जानने लगे हैं।
भाषायी एकता न सिर्फ हमारे बोलचाल को सहजता प्रदान करती है, अपितु बड़ी ही सरलता से हमें एक सूत्र में पिरोए रखती है। संस्कृत की समीप्यता के कारण हिन्दी को व्याकरणनिष्ठ भाषा माना जाता है। हिन्दी लेखन के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है। समय की मांग एवं आवश्यकता को दृष्टिगत रखकर हिन्दी के सचेतकों ने विभिन्न भाषाओं के शब्दों को हिन्दी में ग्राह्यता प्रदान कर उसे जीवन्तता और व्यवहारिकता प्रदान की। इन्हीं विशेषताओं के कारण हिन्दी भाषा दिनोंदिन न सिर्फ भारत में अपितु विश्व में लोकप्रियता की ओर अग्रसर है।
भाषा की जीवन्तता– हिन्दी एक जीवन्त भाषा है। ऐसा माना जाता था कि कम्प्यूटर के अविष्कार एवं उपयोग से अंग्रेजी को बढ़ावा मिलेगा तथा हिन्दी धीरे-धीरे संकुचित होती जाएगी। वर्तमान में कम्प्यूटर, मोबाईल एस.एम.एस. सहित हिन्दी टी.व्ही. चैनलों की बढ़ती संख्या एवं लोकप्रियता ने हिन्दी की जीवन्तता को न सिर्फ बनाए रखा, अपितु अपेक्षा से कहीं ज्यादा वृद्धि भी सुनिश्चित की। हिन्दी भाषा की वैज्ञानिकता उसे जीवन्त बनाए रखने में सक्षम है। हिन्दी के जानकार और चाहने वालों ने कम्प्यूटर में हिन्दी भाषा को विकसित कर आधुनिकता में हिन्दी को समावेशित कर लिया। आज न सिर्फ भारतीय अपितु विश्व के दूसरे देशों में रहने वाले भी हिन्दी का उपयोग संदेश भेजने सहित अन्य कार्यों में बड़ी सहजतापूर्वक कर रहे हैं।
साहित्य का योगदान– विश्व में हिन्दी साहित्य का विशेष स्थान है। हिन्दी साहित्य में लगगभ सभी विधाओं की रचनाएं विद्यमान हैं। महर्षि वाल्मिकी, तुलसीदास, कालीदास, सूरदास, माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त, मुंशी प्रेमचंद, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय, गजानन माधवमुक्ति बोध, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चैहान, पं. रामचंद्र शुक्ल, पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी, फणीश्वरनाथ रेणु, महावीर प्रसाद द्विवेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला….ऐसे कितने ही लेखक और कवि हैं, जिनकी कृतियां अमर हैं, जिन्होंने ऐसी रचनाएं की हैं, जो मानव जगत में सदैव विद्यमान रहेंगी। साहित्य रचना एवं उसका पठन-पाठन मनुष्य को मानवीयता का पाठ पढ़ाती है, मानव जीवन को संवेदनशील और धर्मनिष्ठता प्रदान करती हैं।
फिल्मों का योगदानः– हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में फिल्मों का योगदान भी सराहनीय है। भारत में लगभग सभी ज्वलन्त मुद्दों, रोबोट एवं कम्प्यूटराईज्ड, इतिहास और सामाजिक परिवर्तन से संबंधित विषयों पर आधारित फिल्मों का निर्माण किया जाता है। सत्यजीत रे, श्याम बेनेगल जैसे ख्यातिलब्ध फिल्मकारों ने महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनांे एवं इतिहास पर आधारित महत्वपूर्ण फिल्मों का निर्माण किया है। फिल्मों की राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय लोकप्रियता ने हिन्दी को काफी हद तक बढ़ावा दिया है। एनीमेशन फिल्मों को हिन्दी में डबिंग करने पर बच्चों में भी हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ी है।
सोशल मीडिया में उपयोग– कम्प्यूटर में फेसबुक, ट्विटर और ओरकुट आदि सोशल मीडिया के माध्यम से हिन्दी में ब्लागिंग की जा रही है। इसमें लिपि के रूप में कई बार अंग्रेजी वर्णों का उपयोग भले ही किया जाता है, किन्तु भाषा हिन्दी होती है। मोबाईल में भेजे जाने वाले संदेशों में भी अंग्रेजी वर्णों के उपयोग के बावजूद हिन्दी भाषा का ही उपयोग किया जा रहा है। कम्प्यूटर में अनुवाद एवं फोन्ट परिवर्तन की सुविधा के कारण देवनागरी लिपि का उपयोग भी सरल हो गया है। इससे हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ी है।
हिन्दी चैनल का योगदान – हिन्दी भाषा की लोकप्रियता में हिन्दी टी.व्ही चैनल का योगदान भी महत्वपूर्ण है। इन चैनलों में धार्मिक कथाओं पर आधारित धारावाहिकों के प्रसारण से हिन्दी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई। इन धारावाहिकों ने महिलाओं एवं बुजुर्गों को अपनी ओर विशेष रूप से आकर्षित किया। हिन्दी समाचार चैनलों ने भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार और लोकप्रियता में विस्तार किया।
आत्मीयता- भारतीयों के मन में हिन्दी के प्रति आत्मीयता स्वाभाविक है। प्रायः यह देखा जाता है कि अन्य भाषायी व्यक्ति भी अपनी अभिव्यक्ति के दौरान जब तक हिन्दी का प्रयोग नही कर लेते, तब तक उन्हंे संतुष्टि नहीं मिलती। यह भावनात्मक जुड़ाव हमारी राष्ट्रीयता को और सुदृढ़ करती है। आइए, हम हिन्दी को कामकाजी भाषा तथा अभिव्यक्ति और लेखन का माध्यम बनाकर अपनी राष्ट्रीयता को सुदृढ़ करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करें।
लेखक- संतोष मौर्य , जनसंपर्क अधिकरी है।