गणेश पखना को गणेश धाम बनाने राजनीति चरम पर… इधर महाआरती में गृहमंत्री पहुँचे.. उधर टीएस सिंहदेव का ये ऐलान…

अम्बिकापुर: Hanthi Pakhna Politics: भारत में गणेश उत्सव का अपना अलग ही महत्व है. पूरे देश मे गणेश चतुर्थी के बाद से 9 दिनों का गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ में गणेश उत्सव के दौरान प्राकृतिक गणेश पखना को लेकर सियासत अपने चरम पर है.

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गणपति को लेकर राजनीति

एक तरफ़ गणेश पखना को गणेश धाम के रूप में स्थापित करने वाले एक राजनैतिक दल के लोग आज प्रदेश के गृहमंत्री को बुलाकर गणेश जी की महाआरती करवा रहे हैं. तो अब तक इस क्षेत्र के अन्य हिस्से की शासकीय ज़मीन पर क़ब्ज़ा कराने का आरोप झेल रहे है. दूसरे दल के लोग भी अब गणेश धाम के इस राजनैतिक यज्ञ मे आहूति देने की शुरूआत कर चुके हैं.

भाजपा नेताओं ने की शुरूआत

अम्बिकापुर के पूर्वी क्षेत्र में कभी हरी भरी वादियों से भरे महामाया पहाड़ महामाया मंदिर से कुछ दूरी की चढ़ाई पर हाथी पखना नाम की एक शिलालेख है. जहां पर ये शिलालेख हुबहू गणेश जी की प्रतिमा की तरह दिखाई देती है. जिसको लेकर सार्वजनिक गणपति स्थापना समिति के लोग ने क़रीब एक दशक पूर्व, इस स्थान को गणपति धाम के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया. और अब जब उनकी सरकार प्रदेश में आ गई है, तो इस धाम की परिकल्पना को साकार करने के लिए समिति के लोग पूरे ज़ोर शोर से भिड गए है.

महाआरती में गृहमंत्री को न्यौता

इस धाम के विकास को और ज़ोर देने के लिए 2024 के गणेश उत्सव के दौरान, समिति के लोगों ने हाथी पखना गणेश धाम में गणेश जी की महा आरती की रूपरेखा तैयार की. और प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा और महिला बाल लक्ष्मी राजवाडे को आयोजन में बुलाया. चर्चा ये है कि अब भाजपा की सरकार है और यही वजह है कि हाथी पखना को गणेश धाम के रूप में स्थापित करने मे किसी प्रकार की अड़चन ना आए, इसलिए समिति के लोगों ने गृहमंत्री समेत दो मंत्रियों की अगुवाई में निर्माणाधीन गणेश धाम में महाआरती का कार्यक्रम रखा है. ग़ौरतलब है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान समिति के लोगो ने जब तात्कालिक वन अधिकारियों से इसके विकास की अनुमति माँगी थी, तब दोनों के बीच जमकर हंगामा हुआ था. 

कांग्रेस का एलान

ज़िला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि अम्बिकापुर के पूर्व विधायक और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव जो महामाया धार्मिक उत्थान समिति के मुख्य संरक्षक भी है. उनके द्वारा समिति की ओर से गणेश धाम निर्माण के लिए 1 लाख 11 हज़ार रूपए का सहयोग दिया जाएगा. प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि प्राकृतिक गणेश पखना जो कि वर्तमान मे तिरपाल में विराजमान है. उनके छत निर्माण के लिए ये राशि देने का एलान किया गया है. मतलब साफ़ है कि गणेश जी को लेकर वर्षों से संघर्ष कर रहे गणेश स्थापना समिति के लोगों को अब उन लोगों से भी सहयोग मिलने लगा है. जिन पर वो अभी तक शासकीय भूमि पर क़ब्ज़े कराने का आरोप लगाते रहे है. या सही मायने में कहा जाए तो अब कांग्रेस के लोगों ने भाजपा के उन लोगों को चिढ़ाने का प्रयास शुरू कर दिया है. जो गणेश धाम के नाम पर खुद पूरा श्रेय लेना चाहते थे.

समय समय पर राजनीति का अड्डा

शहर के महामाया पहाड़ पिछले दो दशक से अलग अलग वजह से चर्चा में रहा है. कभी इस इलाक़े में बंग्लादेश के एक समूह के लोगों को शरण देने का आरोप एक राजनैतिक दल पर लगा. तो उसकी जाँच हुई. फिर एक समय इस क्षेत्र के शासकीय और वन भूमि में एक विशेष वर्ग के बाहरी लोगों को बसाने का आरोप एक दल विशेष पर लगा. इस पर भी प्रशासन और वन विभाग ने जाँच की. लेकिन मामला ढक कर तीन पात हो गया. कुल मिलाकर सरगुजा संभाग मुख्यालय के खबूसूरत और धार्मिक आस्था का केन्द्र रहे. महामाया पहाड़ को नेताओं ने हमेशा राजनीति का अड्डा बनाया.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

पिछले कई मामलों की सुनवाई में कई राज्य की कोर्ट और खुद सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा है कि किसी भी प्रकार के शासकीय भूमि पर किसी भी धर्म का धार्मिक स्थल निर्माण नहीं किया जा सकता है. इससे एक दूसरे धर्म में आपस में द्वेष की भावना का विकास होता है. खैर अब भाजपा नेताओं के बाद कांग्रेस नेताओं ने भी शासकीय भूमि पर धार्मिक स्थल निर्माण को बढ़ावा देकर ये साफ कर दिया है कि इस देश मे या तो “आस्था के आगे कोई नही”..या फिर ये कह ले “वोट के आगे कोई नही”