एटलस साइकिल्स के पूर्व अध्यक्ष सलिल कपूर ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर आत्महत्या कर ली। घटना एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग पर स्थित उनके घर में हुई, जहां उन्होंने कथित तौर पर खुद को गोली मारकर जान दी। 70 वर्षीय कपूर ने अपने तीन मंजिला घर के अंदर बने मंदिर में बैठकर रिवॉल्वर से खुद को गोली मारी। यह घटना दोपहर करीब 2:30 बजे की है, जब पुलिस को सूचना मिली और वे तुरंत मौके पर पहुंचे।
पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है। जिसमें कपूर ने कुछ लोगों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। फिलहाल, पुलिस द्वारा इस मामले में जांच की जा रही है और उन व्यक्तियों की पहचान की जा रही है, जिनका जिक्र सुसाइड नोट में किया गया है। यह घटना दिल्ली में सनसनीखेज बन चुकी है और पुलिस हर एंगल से मामले की पड़ताल कर रही है।
क्या रही एटलस साइकिल की कहानी
कभी भारत में साइकिल उत्पादन का पर्याय मानी जाने वाली एटलस साइकिल्स कंपनी की स्थिति अब बेहद नाजुक हो चुकी है। एक समय था जब एटलस साइकिल आम आदमी की पहली पसंद होती थी लेकिन आज यह कंपनी आर्थिक संकट के चलते बंद होने की कगार पर है।
साल 1951 में स्थापित इस कंपनी ने भारत में साइकिल उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था लेकिन दुर्भाग्य है कि समय के साथ-साथ इसकी लोकप्रियता और उत्पादन दोनों में गिरावट आई है।
साइकिल उद्योग में एटलस का योगदान
1951 में जब एटलस साइकिल कंपनी की शुरुआत हुई, तो इसका उद्देश्य आम भारतीयों को एक किफायती और भरोसेमंद साधन उपलब्ध कराना था। एटलस साइकिल ने भारत के छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह न केवल एक परिवहन साधन थी, बल्कि लोगों के लिए स्वतंत्रता का प्रतीक भी थी। स्कूल जाते बच्चों से लेकर ऑफिस जाते कर्मचारियों तक, एटलस साइकिल हर किसी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई थी।
इस कंपनी ने भारत के साइकिल उद्योग को नई दिशा दी थी। दशकों तक यह भारतीय बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी। लेकिन 21वीं सदी में बदलते बाजार और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते एटलस की स्थिति धीरे-धीरे खराब होने लगी।
आर्थिक संकट और प्रोडक्शन यूनिट का बंद होना
एटलस साइकिल की आखिरी प्रोडक्शन यूनिट साल 2020 में बंद हो गई थी। साहिबाबाद स्थित यह यूनिट कंपनी के गिरते उत्पादन और लगातार बढ़ते आर्थिक संकट का शिकार हो गई। आर्थिक संकट के कारण कच्चा माल खरीदने में असमर्थता, कर्मचारियों के वेतन और बेसिक खर्चों की पूर्ति न कर पाने की स्थिति में कंपनी ने आखिरकार अपनी यूनिट को बंद करने का निर्णय लिया।
कंपनी के बंद होने से पहले कर्मचारियों को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें यह साफ लिखा गया था कि “कंपनी अब भारी आर्थिक संकट में है और सारे फंड खर्च हो चुके हैं।” यहां तक कि कंपनी के पास दैनिक खर्चों के लिए भी पैसे नहीं बचे थे। इस संकट की वजह से 3 जून 2020 को कंपनी ने अपने सभी कर्मचारियों को ले-ऑफ घोषित कर दिया था।
धोखाधड़ी के आरोप और कानूनी मामले
एटलस साइकिल की गिरती साख और आर्थिक संकट ने कंपनी के मालिकों को कानूनी मामलों में उलझा दिया। हाल ही में एटलस के मालिक सलिल कपूर पर 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा था। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने इस मामले में सलिल कपूर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सलिल ने इस विवाद को सुलझाने के लिए 7 पोस्ट डेटेड चेक दिए थे, लेकिन वे सभी बाउंस हो गए। इसके बाद साकेत कोर्ट ने सलिल कपूर को भगोड़ा घोषित कर दिया था।
इसी तरह एक अन्य मामले में सुनीता बंसल नामक महिला ने भी ईओडब्ल्यू में सलिल कपूर के खिलाफ 4 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। इन कानूनी मामलों ने कंपनी की साख को और धूमिल कर दिया, जिससे कंपनी की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई।
कंपनी की गिरावट के कारण
एटलस साइकिल की गिरावट के पीछे कई कारण हैं। एक प्रमुख कारण समय के साथ कंपनी की असमर्थता थी कि वह खुद को बदलते बाजार और नई तकनीक के साथ ढाल सके। जब दूसरी साइकिल कंपनियां नई तकनीक, डिजाइन और मार्केटिंग में निवेश कर रही थीं, एटलस अपने पुराने तरीकों पर ही अडिग रही।
दूसरा बड़ा कारण था कि कंपनी ने समय के साथ अपनी रणनीति में बदलाव नहीं किया। इलेक्ट्रिक साइकिल और गियर साइकिल जैसे नए उत्पादों की बढ़ती मांग को कंपनी समझ नहीं सकी और इसका सीधा असर उसकी बिक्री पर पड़ा। साथ ही, बढ़ते कच्चे माल की कीमतों और प्रतिस्पर्धा के चलते भी कंपनी की आर्थिक स्थिति कमजोर होती गई।
एटलस साइकिल: बचपन की यादें और एक युग का अंत
कई भारतीयों के लिए एटलस साइकिल सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि बचपन की ढेरों यादों का हिस्सा रही है। स्कूल जाते समय की वो पहली साइकिल, गर्मियों की छुट्टियों में दोस्तों के साथ रेस लगाना, और कई खास पलों में एटलस साइकिल का साथ हमेशा यादगार रहेगा। यह साइकिल सिर्फ एक उत्पाद नहीं थी बल्कि एक ऐसी विरासत थी जो हर भारतीय के जीवन का हिस्सा थी।
लेकिन आज एटलस साइकिल्स का वह सुनहरा दौर खत्म हो चुका है। कंपनी की बंद होती फैक्ट्री और मालिकों के खिलाफ दर्ज होते कानूनी मामले यह साफ संकेत देते हैं कि एटलस साइकिल का युग अब समाप्त हो चुका है।
भविष्य की चुनौतियाँ
एटलस साइकिल की वर्तमान स्थिति देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि कंपनी का भविष्य क्या होगा। हालांकि अगर कोई निवेशक कंपनी को खरीदने और उसकी स्थिति सुधारने का प्रयास करता है तो शायद एटलस साइकिल एक बार फिर से बाजार में वापसी कर सके। लेकिन इसके लिए कंपनी को अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने होंगे। जैसे कि नई तकनीक को अपनाना, इलेक्ट्रिक और गियर साइकिल के उत्पादन पर ध्यान देना, और ब्रांड की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लाना।