Ganesh Utsav 2024 : इसी जगह पर हुई थी भगवान गणेश की उत्पत्ति, प्रचलित है धार्मिक और प्राकृतिक महत्व, यहां एक ही साथ विराजते हैं गणेश और मां अन्नपूर्णा

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Ganeshutsav 2024, Ganesh Utsav 2024, Ganesh Chaturthi 2024, Ganesh Temple : गणेश उत्सव की तयारी शुरू हो चुकी है। इसी के साथ 10 दिवसीय बाप्पा की पूजन प्रथा 07 सितम्बर से शुरू होगी। उत्तराखंड में गणेश विसर्जन की परंपरा उतनी प्रचलित नहीं है, क्योंकि इसे विघ्नहर्ता की जन्मभूमि माना जाता है।

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इस देवभूमि से भगवान गणेश की कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिनमें डोडीताल की कथा विशेष महत्व रखती है। उत्तरकाशी के डोडीताल क्षेत्र में स्थित गणपति मंदिर का धार्मिक महत्व अधिक है। यह मंदिर भगवान गणेश का जन्मस्थल माना जाता है और यहां मां अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर भी है।

गणपति और माता अन्नपूर्णा का यह मंदिर अपने आप में अद्वितीय है क्योंकि यहां गणेश और अन्नपूर्णा दोनों ही एक साथ विराजमान हैं, जबकि शिव मंदिर के बाहर स्थित है। डोडीताल, समुद्रतल से करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, उत्तरकाशी से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थल बुग्यालों के बीच एक लंबी-चौड़ी झील के रूप में प्रसिद्ध है, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।

प्राकृतिक झील के किनारे मां अन्नपूर्णा का मंदिर

पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां अन्नपूर्णा ने इसी स्थान पर भगवान गणेश को जन्म दिया था। स्थानीय लोग भगवान गणेश को यहां “डोडीराजा” कहते हैं। यह नाम “डुंडीसर” से व्युत्पन्न है, जो केदारखंड में गणेश के लिए प्रचलित नाम है।

डोडीताल क्षेत्र को स्थानीय लोग शिव के कैलाश के रूप में मानते हैं और यहाँ एक किलोमीटर में फैली प्राकृतिक झील के किनारे मां अन्नपूर्णा का मंदिर है। पुजारी संतोष खंडूड़ी के अनुसार, डोडीताल ही मां अन्नपूर्णा का स्नानस्थल था और यहीं पर हल्दी के उबटन से गणेश की उत्पत्ति हुई थी।

हल्दी के उबटन से गणेश की उत्पत्ति

गणेश भगवान को द्वारपाल के रूप में तैनात किया गया था और जब भगवान शिव आए तो गणेश ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। जिसके शिव ने गणेश का मस्तक धड़ से अलग कर दिया था। शिव ने बाद में गणेश को गज शीश लगाकर पुनर्जीवित किया था।

डोडीताल की यात्रा पर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक यहां मां अन्नपूर्णा और गणेश के दर्शन करने के लिए विशेष रूप से आते हैं। यहां की नैसर्गिक सुंदरता और ट्रैकिंग के रोमांच के साथ-साथ ग्रामीण जीवनशैली और पहाड़ी व्यंजनों का भी आनंद लिया जा सकता है।

यहाँ है ठहरने की व्यवस्था

अगोड़ा गांव पारंपरिक घरों में ठहरने की सुविधा और पारंपरिक पकवानों की पेशकश की जाती है। चौलाई की रोटी, राजमा की दाल, लाल चावल, आलू का थिंच्वाणी और लिंगुड़े की सब्जी यहां के विशेष पकवान हैं जो जैविक और पौष्टिक होते हैं।

गांव में 15 से अधिक ट्रैकिंग एजेंसियां

डोडीताल की सैर करने वाले पर्यटक स्थानीय मेले, शादी और धार्मिक अनुष्ठानों में भी भाग लेते हैं, जिससे वे ग्रामीण परिवेश से और भी रूबरू होते हैं। साथ ही, अगोड़ा गांव में 15 से अधिक ट्रैकिंग एजेंसियां हैं, जो गाइड, पोर्टर और ट्रैकिंग का सामान उपलब्ध कराती हैं।