Ganeshotsav 2024, Ganesh Utsav 2024, Ganpati temple, Ganesh Chaturthi 2024, Kerala Madhur Ganesh Temple : केरल धार्मिक मान्यताओं और विचित्र किंवदंतियों से भी भरा पड़ा है। आगामी 7 सितंबर से गणेश चतुर्थी शुरू हो रहा है। केरल के एक अनोखे गणेश मंदिर के बारे में जानना दिलचस्प होगा। यह मंदिर टीपू सुल्तान द्वारा आक्रमण किए जाने के लिए भी जाना जाता है, और यहां आज भी टीपू सुल्तान की तलवार के निशान संरक्षित हैं।
मधुर गणेश मंदिर की अद्वितीयता
केरल के कासरगोड जिले से थोड़ी दूर पर स्थित मधुर गणेश मंदिर, भगवान गणेश का एक विचित्र मंदिर माना जाता है। 10वीं सदी में स्थापित इस मंदिर का प्रारंभिक नाम श्रीमदानंदेश्वर था और यह भगवान शिव को समर्पित था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू था, जिसे किसी मानव द्वारा निर्मित नहीं माना जाता था। किंवदंतियों के अनुसार, एक दिन पुजारी के बेटे ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश का चित्र बनाया, जो समय के साथ बढ़ने लगा। यह चित्र धीरे-धीरे मोटा होता गया और पुजारी का बेटा भगवान गणेश को ‘बोडा गणेश’ कहकर पुकारता था। इस प्रकार, मंदिर को भगवान गणेश के लिए समर्पित कर दिया गया और इसका नाम मधुर गणेश मंदिर पड़ा।
टीपू सुल्तान का आक्रमण
इतिहास में दर्ज एक महत्वपूर्ण घटना के अनुसार, मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था। टीपू सुल्तान ने इस मंदिर को ध्वस्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन जब उसने मंदिर के तालाब से पानी पिया, तो उसका मन बदल गया। कहा जाता है कि पानी पीने के बाद टीपू सुल्तान ने मंदिर को नुकसान पहुंचाने का इरादा बदल दिया। हालांकि, अपनी सेना को संतुष्ट करने के लिए उसने मंदिर की छत के एक हिस्से को अपनी तलवार से थोड़ा सा नुकसान पहुँचाया। आज भी उस तलवार के निशान को मंदिर में संरक्षित किया गया है। माना जाता है कि उस तालाब का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है, जो टीपू सुल्तान के आक्रमण से बचाव में सहायक रहा।
मुदप्पा सेवा और मंदिर का वास्तुशिल्प
मधुर गणेश मंदिर में हर साल ‘मुदप्पा’ नामक प्रमुख त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान, भगवान गणेश की प्रतिमा को मीठे चावल और घी से ढंका जाता है। इस समय, हजारों भक्त मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, और कहा जाता है कि भगवान गणेश किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटाते।
मंदिर की वास्तुकला भी बहुत अनोखी है। इसे ‘गजबृष्टा’ शैली में बनाया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – हाथी की पीठ या कमर वाला हिस्सा। यह शैली दक्षिण भारत में भगवान शिव के मंदिरों में आमतौर पर पाई जाती है।
केरल के मधुर गणेश मंदिर का रहस्यमय इतिहास और टीपू सुल्तान का अनूठा संबंध
केरल, जिसे उसकी शानदार प्राकृतिक सुंदरता के कारण ‘भगवान का अपना देश’ कहा जाता है, धार्मिक मान्यताओं और विचित्र किंवदंतियों से भी भरा पड़ा है। आगामी 7 सितंबर से गणेश चतुर्थी के साथ त्योहारों का सीजन शुरू हो रहा है, ऐसे में केरल के एक अनोखे गणेश मंदिर के बारे में जानना दिलचस्प होगा। यह मंदिर टीपू सुल्तान द्वारा आक्रमण किए जाने के लिए भी जाना जाता है, और यहां आज भी टीपू सुल्तान की तलवार के निशान संरक्षित हैं।
मधुर गणेश मंदिर की अद्वितीयता
केरल के कासरगोड जिले से थोड़ी दूर पर स्थित मधुर गणेश मंदिर, भगवान गणेश का एक विचित्र मंदिर माना जाता है। 10वीं सदी में स्थापित इस मंदिर का प्रारंभिक नाम श्रीमदानंदेश्वर था और यह भगवान शिव को समर्पित था। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू था, जिसे किसी मानव द्वारा निर्मित नहीं माना जाता था। किंवदंतियों के अनुसार, एक दिन पुजारी के बेटे ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश का चित्र बनाया, जो समय के साथ बढ़ने लगा। यह चित्र धीरे-धीरे मोटा होता गया और पुजारी का बेटा भगवान गणेश को ‘बोडा गणेश’ कहकर पुकारता था। इस प्रकार, मंदिर को भगवान गणेश के लिए समर्पित कर दिया गया और इसका नाम मधुर गणेश मंदिर पड़ा।
टीपू सुल्तान का आक्रमण
इतिहास में दर्ज एक महत्वपूर्ण घटना के अनुसार मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था। टीपू सुल्तान ने इस मंदिर को ध्वस्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन जब उसने मंदिर के तालाब से पानी पिया तो उसका मन बदल गया। कहा जाता है कि पानी पीने के बाद टीपू सुल्तान ने मंदिर को नुकसान पहुंचाने का इरादा बदल दिया। हालांकि, अपनी सेना को संतुष्ट करने के लिए उसने मंदिर की छत के एक हिस्से को अपनी तलवार से थोड़ा सा नुकसान पहुँचाया। आज भी उस तलवार के निशान को मंदिर में संरक्षित किया गया है। माना जाता है कि उस तालाब का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है, जो टीपू सुल्तान के आक्रमण से बचाव में सहायक रहा।
मुदप्पा सेवा और मंदिर का वास्तुशिल्प
मधुर गणेश मंदिर में हर साल ‘मुदप्पा’ नामक प्रमुख त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान, भगवान गणेश की प्रतिमा को मीठे चावल और घी से ढंका जाता है। इस समय हजारों भक्त मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, और कहा जाता है कि भगवान गणेश किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटाते। मंदिर की वास्तुकला भी बहुत अनोखी है। इसे ‘गजबृष्टा’ शैली में बनाया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – हाथी की पीठ या कमर वाला हिस्सा। यह शैली दक्षिण भारत में भगवान शिव के मंदिरों में आमतौर पर पाई जाती है।
इस प्रकार केरल का मधुर गणेश मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और वास्तुकला की विशेषताएं भी इसे एक अनूठा स्थल बनाती हैं।