Motivational Story, Than Singh, Than Singh Ki pathshala, Delhi Police Than Singh : गरीब बच्चों के लिए संचालित थान सिंह की पाठशाला ने न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी सुर्खियां बटोरी हैं। जर्मनी के एक प्रमुख अखबार में उनकी पाठशाला के बारे में छपी खबर ने वहां के नागरिकों का ध्यान आकर्षित किया। विदेशी मेहमानों ने थान सिंह की पाठशाला का दौरा किया और बच्चों से बातचीत की।
शिक्षा के प्रति जुनून और अथक मेहनत
थान सिंह की शिक्षा के प्रति जुनून और उनकी अथक मेहनत ने विदेशी मेहमानों को खासा प्रभावित किया। थान सिंह ने खुद झुग्गी बस्ती में रहकर मेहनत के बल पर अपनी किस्मत बदली और अब लालकिला के पार्किंग परिसर में वे गरीब बच्चों को शिक्षा के माध्यम से बेहतर भविष्य देने की दिशा में काम कर रहे हैं। थान सिंह की पाठशाला की शुरुआत उन्होंने महज चार बच्चों से की थी, लेकिन आज उनकी मेहनत रंग ला रही है।
लगभग 100 बच्चों को अपनी पाठशाला में पढ़ाकर स्कूलों में दिला चुके दाखिला
वह अब तक लगभग 100 बच्चों को अपनी पाठशाला में पढ़ाकर स्कूलों में दाखिला दिला चुके हैं। पाठशाला की सफलता को देखते हुए माता सुंदरी कॉलेज की कुछ छात्राओं ने भी थान सिंह की सहायता करने का निर्णय लिया और वे वर्तमान में 10 छात्राएं थान सिंह की पाठशाला में बच्चों को पढ़ा रही हैं।
35 वर्षीय हवलदार थान सिंह के समर्पण और सेवा भाव का प्रतीक
थान सिंह की पाठशाला की सफलता की कहानी दिल्ली पुलिस के 35 वर्षीय हवलदार थान सिंह के समर्पण और सेवा भाव का प्रतीक है। उन्होंने करीब आठ साल पहले लालकिला की पार्किंग में चार गरीब बच्चों के साथ अपनी पाठशाला की शुरुआत की थी। उन्होंने आसपास के गरीब परिवारों के घर जाकर बच्चों को शिक्षा देने की प्रार्थना की और पाठशाला को लालकिला पार्किंग में स्थित सांई मंदिर में स्थापित किया। यहाँ जाति और धर्म के बंधन से परे सभी बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
थान सिंह की यह पाठशाला शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती है और विदेशों से मिल रहे समर्थन से उनकी यह पहल और भी मजबूत होती जा रही है। इस प्रकार की कहानियाँ यह दर्शाती हैं कि सच्ची मेहनत और समर्पण से समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।