बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..कल देर रात उत्तरप्रदेश के कौशांबी के पास साल हादसे में घायल कांवड़ियों को बलरामपुर जिला अस्पताल लाया गया..घायलों को क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि धीरज सिंहदेव और बलरामपुर जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष भानूप्रकाश दीक्षित लेकर पहुंचे..वही घायलों को लेकर लौटे 2 एंबुलेंस के किराए को लेकर जनप्रतिनिधि धीरज सिंहदेव और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय नही बन सका..क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि ने जिला प्रशासन द्वारा दी जा रही राशि को वापस कर दिया..
दरअसल 16 अगस्त के तड़के उत्तरप्रदेश के कौशांबी के पास कांवड़िए सड़क हादसे का शिकार हो गये..इस हादसे में 3 कांवड़ियों की दर्दनाक मौत हो गई..जबकि 18 कांवड़िए घायल हो गये हो..जिन्हे कौशांबी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था..इस हादसे की खबर जब छत्तीसगढ़ पहुंची तो खुद मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर गहरा दुःख व्यक्त किया..उन्होंने यह भी लिखा की बलरामपुर जिला प्रशासन कौशांबी के जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर मृतकों के शवों वापस लायेगा..और घायलों के उपचार के लिए हर संभव मदद करेगा..
लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद घायलों को कितनी मदद इसकी एक झलक कल देर रात बलरामपुर जिला अस्पताल में देखने को मिली ..घायलों के बलरामपुर जिला अस्पताल पहुंचने के बाद स्थानीय प्रशासन का अमला नजर नहीं आया..और तो और घायलों को जिन एंबुलेंस में लाया गया उसका किराया भुगतान भी खुद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि धीरज सिहदेव ने किया..जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन की ओर से एंबुलेंस के किराये के लिए भेजी गई राशि नाकाफी थी..जिसे लौटा दिया गया !..अब सोंचने वाली बात है..की मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह कैसा निर्देश था..जिसका ठीक तरीके से पालन ही ना होना..समझ से परे है!.
कौशांबी सड़क हादसे में 15 घायलों का इलाज जिला अस्पताल बलरामपुर में जारी है..तो वही 2 गंभीर रूप से घायलों का उपचार रायपुर में जारी है..इसके साथ ही 1 घायल का इलाज अंबिकापुर में जारी है..जबकि इस हादसे में 3 लोगो की मौत हो चुकी है..जिनमे बरदर और सुर्रा निवासी मृतकों का शव कल सुबह बलरामपुर लाया गया था..जबकि 1 मृतिका का अंतिम संस्कार बनारस में किया गया..
निर्देश तो निर्देश..झांकने तक नहीं गया कोई!
इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह रही की..मुख्यमंत्री के बाद रामानुजगंज विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री रामविचार नेताम ने जिला प्रशासन को आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये थे..लेकिन स्थानीय प्रशासन ने किसी भी प्रकार की मदद नही..जिस एंबुलेंस में शव लाया गया.. यहाँ तक की उत्तरप्रदेश से तीन एंबुलेंस आये ..किसी का भी भुगतान जिला प्रशासन की ओर से नही किया गया..इतना ही नहीं मृतकों के परिजनों व घायलों से मिलने प्रशासन का एक भी नुमाइंदा नही पहुंचा..तो अब भला ऐसे निर्देशों का क्या मतलब जिनका पालन ही ना हो..प्रदेश सरकार को ऐसे मामलो में गंभीरता से विचार करना चाहिए..और हो सके तो खुद सूबे के मुखिया इसकी मॉनिटरिंग करें..तब कही जाकर लोगो को राहत मिल सकेगी..