Success Story : आईएएस बनने किया कड़ा संघर्ष, अपनाया मठवासी जैसा जीवन, तीसरे प्रयास में मिली सफलता, पास की UPSC परीक्षा, बनी IAS

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Success Story, IAS Success Story, UPSC Success Story : भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की परीक्षा को अक्सर भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। यह परीक्षा हर साल लाखों उम्मीदवारों द्वारा दी जाती है, जो भारतीय प्रशासन में उच्च पदों पर नियुक्ति पाने का सपना देखते हैं।

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कई उम्मीदवार इस परीक्षा को पास करने के लिए 2-3 बार प्रयास करते हैं और अंततः हार मान लेते हैं। लेकिन, एक आईएएस अधिकारी की कहानी है जिसने इस परीक्षा के लिए साधु की तरह जीवन जीते हुए सफलता प्राप्त की। यह कहानी है परी बिश्नोई की।

परी बिश्नोई, बीकानेर, राजस्थान की निवासी हैं। उनके परिवार का बैकग्राउंड भी प्रभावशाली है। उनकी माँ, सुशीला बिश्नोई, जीआरपी में पुलिस अधिकारी हैं और पिता, मनीराम बिश्नोई, एक वकील हैं। परी के दादा, गोपीराम बिश्नोई, चार बार काकड़ा गांव के सरपंच रह चुके हैं, जो परिवार की सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

परी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। परी ने अजमेर स्थित एमडीएस विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की और साथ ही NET-JRF परीक्षा भी पास की।

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू

आईएएस बनने का सपना देखने वाली परी ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। पहले दो प्रयासों में असफलता के बावजूद, उन्होंने हार मानने के बजाय अपने प्रयास को और भी दृढ़ता और संकल्प के साथ जारी रखा। उनके परिवार की ओर से एक बयान में बताया गया कि परी ने अपनी तैयारी के दौरान सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट कर दिए थे और फोन का उपयोग भी बंद कर दिया था। उन्होंने मठवासी जीवन जीना शुरू किया, जिसमें उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा और समय परीक्षा की तैयारी में लगाया।

तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की

परी की इस दृढ़ता और मेहनत का फल आखिरकार साल 2019 में मिला, जब उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और अखिल भारतीय रैंक 30 प्राप्त की। इस सफलता ने उनकी मेहनत और समर्पण को साबित किया।

गंगटोक में उप-विभागीय अधिकारी (SDO) के पद पर कार्यरत

वर्तमान में, परी बिश्नोई सिक्किम के गंगटोक में उप-विभागीय अधिकारी (SDO) के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले, वह भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय में सहायक सचिव के रूप में भी काम कर चुकी हैं। उनकी सफलता और कार्यशैली ने उन्हें प्रशासनिक क्षेत्र में एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया है।

परी बिश्नोई की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता प्राप्त करने के लिए केवल प्रतिभा ही नहीं, बल्कि अडिग संकल्प, कड़ी मेहनत और दृढ़ता की भी आवश्यकता होती है। उनकी यात्रा ने साबित कर दिया है कि यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हों और कठिनाइयों के बावजूद प्रयास जारी रखें, तो सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी।