दुल्हन की तरह सज रहा है जिला कार्यालय… जहां जरूरत नहीं वहां भी लाखों खर्च कर रहे साहब.. इधर नर्क की जिंदगी जीने को मजबूर शहरवासी…

जांजगीर-चांपा। जिले के कलेक्टर साहब इन दिनों कलेक्टर कार्यालय में लाखों खर्च कर दुल्हन की तरह सजा रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर शहर की जनता नरक की जिंदगी जीने को मजबूर है. बारिश का पानी नाली निकासी नहीं होने के कारण घरों में घुस आ रहा हैं. लोग जलजनित बीमारी से मर रहे हैं. शहर में पानी निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. न ही चलने के लिए रोड की स्थिति ठीक है. लेकिन साहब को इसकी चिंता नहीं है. साहब तो सिर्फ अपने कार्यालय को चमकाने में लगे है. जिसकी जरूरत नहीं है. बावजूद लाखों,करोड़ो खर्च कर कलेक्टर कार्यालय को सजाया जा रहा है. जरूरत जिस चीज में खर्च करने की है उसमें ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बारिश के दिनों में शहर का बुरा हाल है. प्रत्येक वार्डो के गली में पानी भरा हुआ है. जिससे आने-जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा. रोड की हालत किसी से छुपी नहीं है. लेकिन साहब को इससे कोई लेना देना नहीं है.

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जिला शिक्षा कार्यालय जर्जर हालत में है. जिला शिक्षा कार्यालय परिसर में घुटने तक पानी भरा है. शिक्षा कार्यालय में कर्मचारी मौत से खेल रहे हैं. कब छत भरभरा कर गिर जाए इसका कोई भरोसा नहीं है. इससे पहले यहां इस तरह की घटना घट चुकी है, जिससे यहां के कर्मचारियों को चोट भी आई है. वहीं दूसरी ओर जिले की सरकारी स्कूल जर्जर स्थिति में है. यहां के बच्चे बरामदे में पढ़ाई कर रहे हैं. स्कूल की हालत बत से बत्तर है. स्कूल में पानी भर जाने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. न हीं उनकी पढ़ाई हो रही है. लेकिन साहब को इसकी चिंता नहीं है. साहब का दफ्तर चकाचक होना जरूरी है। अपना कार्यालय सुंदर, स्वच्छ दिखना चाहिए. शहर की जनता की जो भी हाल रहे उससे कोई लेना-देना नहीं है. जनता भी चुपचाप तमाशा देखते बैठी हुई है. क्योंकि शहर की जनता को अपने अधिकार के प्रति बोलना नहीं आता। उन्हें क्या पता कि जिस घर में वे रह रहे हैं, जिस गली में चल रहे हैं उसका टैक्स देते. लेकिन उनको यह नहीं मालूम की अपने अधिकार के लिए कैसे लड़ा जाए.

शहर के जनप्रतिनिधि भी कुंभकरणी नींद में है. उन्हें भी जनता की तकलीफ दिखाई नहीं दे रहा है. सिर्फ चुनाव में जनता नजर आती है। बाकी समय में अपनी ए.सी. गाड़ी से उतरने का नाम नहीं लेते. वही हाल यहां के अधिकारियों का है. अपने ए.सी. वाले चैंबर से निकलते तो हैं, लेकिन वही उतरते है जहां रोड साफ सुथरी हो. जनता अब इस बात को समझ चुकी है आने वाले समय में शहर की जनता अपने हक के लिए जरूर जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों को सबक सिखाएगी।