घरेलू गैस सिलेण्डरों का हो रहा जमकर व्यवसायिक उपयोग

  • अधिकारी जानकर भी कर रहे अनदेखा, नीले के बदले उपयोग हो रहे लाल सिलेण्डर

अम्बिकापुर

नियम कानून को ताक में रखकर चाय, होटल संचालक खुले आम घरेलू गैस सिलेण्डरों का उपयोग कर रहे हैं। घर की रसोई की सब्सिडी वाली गैस होटलों में जलने से शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है लेकिन किल्लत ज्यादा न होने से अधिकारी अनुदान प्राप्त सिलेण्डरों की कालाबाजारी रोकने क बजाय हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं। भारत सरकार द्वारा सब्सिडी रेट पर उपलब्ध कराये जाने वाले घरेलू गैस का उपयोग शहर के विभिन्न होटलों में धड़ल्ले से हो रहा है, जहां सिर्फ व्यवसायिक सिलेण्डर उपयोग करने की अनुमति है। घर में उपयोग के लिये आपूर्ति किये जाने वाले लाल रंग के सिलेण्डर की कीमत नीले रंग की व्यवसायिक सिलेण्डर से अपेक्षाकृत कम रहती है। सामान्य से थोड़े पैसे अधिक देकर उन्हें सब्सिडी वाले सिलेण्डर मिल जाते हैं। लिहाजा होटल संचालक इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं।

पेट्रोल से सस्ता पर अक्सर रहता है खतरा
एलपीजी गैस के दुरूपयोग के मामले में वाहनों की तादाद भी काफी बढ़ गई है। इन वाहनों में पेट्रोल व डीजल के वैकल्पिक रूप से गैस सिलेण्डर का उपयोग किया जा रहा है। पेट्रोल की अपेक्षा गैस सिलेण्डर का उपयोग सस्ता पड़ता है जिस कारण कई लोग अपने वाहनो में गैसकिट लगाकर उसका उपयोग कर रहे हैं। इसमें दुर्घटना की आंशका भी बनी रहती है। शहर में पूर्व की बात करें तो ऐेसी वाहनों में कई दुर्घटनायें भी सामने आ चुकी है। नगर के महामाया रोड में गैसकिट से संचालित मारूति कार में आग लग जाने से एक की मौत भी हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी लोग इस इंर्धन पर यात्रा करने से बाझ नहीं आ रहे हैं। वाहनों के इंजन व वायरिंग डीजल, पेट्रोल तकनीक पर आधारित रहती है लेकिन गैसकिट के सहारे से वाहन का अंदरूनी हिस्सा गर्म हो जाता है जिसके चलते गाड़ी में आग जाने की घटना सामने आती है।

लाल सिलेण्डर की डिमांड
घरेलू व व्यवसायिक गैस सिलेण्डर के दाम में अब ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन इसके बाद भी दुकान संचालक लाल सिलेण्डर का ही उपयोग करते हैं। सूत्रों के अनुसार घरेलू गैस सिलेण्डर 590 रूपये में मिल जाता है, जिसकी सब्सिडी खाते में आती है। होटल वाले इन्हीं सिलेण्डरों को ब्लैक में 650 से 750 रूपये तक में खरीदते हैं। वहीं 19 किलो वजनी व्यवसायिक सिलेण्डर 1098 रूपये में मिल जाता है। वजन के हिसाब से ज्यादा अंतर न होने पर बड़े होटलों व शादी के संचालक तो व्यवसायिक सिलेण्डर लेने लगे हैं लेकिन चाय, चाट फुल्की वाले छोटे दुकानदार अब भी थोड़े लाभ के लिये घरेलू सिलेण्डर का ही उपयोग कर रहे हैं।

चूल्हे में अंतर होने से रहती है हादसे की संभावना
शहर में कई जगह सिलेण्डरों के दलाल सक्रिय हैं। जो थोड़े से लालच में अपना सिलेण्डर दुकानदारों को बेच रहे हैं। वहीं होटल या शादी समारोह के उपयोग में होने वाली भऋी की बनावट व्यवसायिक सिलेण्डर के अनुसार होती है लेकिन उसका उपयोग घरेलू सिलेण्डर से पाईप में प्रवाहित गैस का दबाव ज्यादा रहता है जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। इस कारण से अक्सर दुर्घटना होती रहती है।