जांजगीर चांपा। जांजगीर नैला नगर पालिका में आज 2 बजे दोपहर PIC की बैठक रखी गई थी. लेकिन समय पर सदस्य एवं कांग्रेसी पार्षद नहीं पहुंचे जिसके चलते बैठक को आगे तिथि के लिए बढ़ा दिया गया . PIC सदस्यो की बैठक में जानबूझकर नहीं पहुंचने के पीछे वजह नगर पालिका अध्यक्ष एवं कांग्रेसी पार्षदों के बीच मनमुटाव को बताया जा रहा हैं . अब अध्यक्ष एवं कांग्रेसी पार्षदों के बीच संबंधों में दरारें आ गई हैं. नगरपालिका जांजगीर नैला में कांग्रेस पार्टी से भगवान दास गढेवाल अध्यक्ष है, अपने पार्षदों की बदौलत ही कुर्सी हासिल किये हैं . पूर्व में अविश्वास प्रस्ताव आने के बावजूद अपने अध्यक्ष के प्रति ईमानदारी दिखाते हुए सभी कांग्रेसी पार्षदों ने फिर उन्हें खुर्सी पर बैठा था. लेकिन अब दोनो के बीच संबंध मधुर नहीं रहे. अब कांग्रेसी पार्षदों एवं अध्यक्ष के बीच तकरार आ गया है. कारण जो भी हो, लेकिन अब कांग्रेसी पार्षद भी अपने अध्यक्ष से दूरी बना लिए हैं. यह बात तब सामने आई जब आज आज 2 बजे नगर पालिका कार्यालय में PIC की बैठक रखी गई थी. इसमें कांग्रेसी पार्षद अध्यक्ष से नाराजगी के चलते बैठक में नहीं पहुंचे. जिसके कारण PIC की बैठक की तिथि को आगे बढ़ा दिया गया. इसके बाद नाराज होकर नगर पालिका अध्यक्ष कार्यालय से चले गए.
पूरे मामले में नगर पालिका सीएमओ का कहना है कि कोरम पूरे नहीं होने के कारण PIC की बैठक को आगे के लिए टाल दिया गया हैं. वहीं अध्यक्ष भगवान दास का कहना है कि अधिकारी द्वारा हमारे एजेंडे पर आपत्ति किया गया जिसके चलते नाराजगी रही. विपक्ष के भाजपा पार्षदों का कहना है कि भले ही अध्यक्ष की कुर्सी अविश्वास प्रस्ताव में बच गई,लेकिन अब अध्यक्ष अपने पार्षदों को एकजुट नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेसी पार्षद अपने अध्यक्ष से नाराज हैं. जिसके चलते आज बैठक में जानबूझकर नहीं आए. हालांकि इस बैठक के टलने के कारण शहर के बहुत सारे विकास कार्यों के विषयों पर चर्चा नहीं हो पाई, बैठक की तिथि को आगे बढ़ाया गया है. अब दोबारा PIC की बैठक 19 तारीख को हो सकती है.
लेकिन इस तरह जांजगीर नैला नगर पालिका में अधिकारियों से लेकर पार्षदों के साथ संबंध अच्छे नहीं बना पाने के कारण अध्यक्ष अकेले पड़ गए हैं. आने वाला समय में नगरी निकाय का चुनाव होना है. जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष भगवान दास गढ़ेवाल फिर से अपना किस्मत अजमाने के लिए तैयार है. लेकिन अगर स्थिति यही रही तो यह संभव नहीं हो पाएगा. कांग्रेसी पार्षद ही अगर अध्यक्ष के पक्ष में नहीं है तो अध्यक्ष के लिए अपनी जगह बनाने में मुश्किलें होंगी. नगर पालिका अध्यक्ष को निकाय चुनाव में फिर से किस्मत आजमाना हैं तो सभी से अच्छे संबंध बनाने होंगे. आपसी मनमुटाव को छोड़ शहर के विकास के लिए ध्यान देना होगा।