Hathras stampede, Hathras stampede Update, Hathras stampede Notice : हाथरस में हाल ही में हुए भगदड़ की घटना के बाद से सुर्खियों में आए नारायण साकार गिरि उर्फ भोले बाबा के नाम पर हो रही फजीहत के बाद साधु संतों के अखाड़े अब एक्शन में आ गए हैं। विभिन्न अखाड़ों ने अपने-अपने पटल पर पदस्थ 100 से अधिक महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर और अन्य प्रमुख संतों को नोटिस जारी किया है। अब तक कुल 137 संतों को नोटिस जारी किया जा चुका है और उनसे उनके क्रियाकलापों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इन सभी को अगस्त महीने तक जवाब देने को कहा गया है, और यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो अखाड़ों से इन्हें निष्कासित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
अखाड़ों की एक्शन योजना और गोपनीय जांच
अप्रैल महीने से ही अखाड़ों ने फर्जी संतों के खिलाफ गोपनीय जांच शुरू कर दी थी। इस जांच के तहत, पांच परमेश्वरों ने विभिन्न संतों के आचरण और गतिविधियों की जांच की। इस दौरान, जूना अखाड़े ने 54, निरंजनी अखाड़े ने 24, और निर्मोही अनी अखाड़े ने 34 संतों को नोटिस जारी किया है। जिनमें 13 महामंडलेश्वर और 24 मंडलेश्वर समेत कई महंत शामिल हैं। इन संतों को नोटिस जारी करने का मुख्य उद्देश्य उनकी गतिविधियों और आचरण पर निगरानी रखना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे संत के पद की गरिमा का उल्लंघन न कर रहे हों।
निरंजनी और निर्मोही अनी अखाड़ों की कार्रवाई
निरंजनी और निर्मोही अनी अखाड़ों ने हाल ही में जिन 13 महामंडलेश्वर और संतों को निष्कासित किया था, उस पर मोहर लगा दी है। इन सभी को आगामी महाकुंभ मेले में संत के रूप में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। निरंजनी अखाड़े ने करीब दो महीने पहले महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी को न केवल निष्कासित किया था, बल्कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा कर उन्हें जेल भी भिजवाया था।
प्रयागराज में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक
18 जुलाई को प्रयागराज में मेला प्रशासन के साथ होने वाली बैठक से पहले यह महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है कि अखाड़े के प्रतिनिधियों और मेला प्रशासन की बैठक में फर्जी संतों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा सकता है। इस बैठक के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अखाड़े आपस में बैठक कर फर्जी संतों के खिलाफ कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं और उन्हें फर्जी संत घोषित कर सकते हैं। इसके साथ ही, खुद को भगवान बताने और चमत्कार दिखाने वाले फर्जी बाबाओं के खिलाफ औपचारिक तौर पर सरकार से कार्रवाई की मांग की जा सकती है।
अखाड़ा परिषद के नेताओं की प्रतिक्रिया
अखाड़ा परिषद के एक गुट के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि पद पर काबिज होने के बाद जिन संतों का आचरण बदल जाता है, उनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में फजीहत से बचने के लिए ऐसे गलत लोगों पर शिकंजा कसा जाना बेहद जरूरी है।
अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट के महामंत्री और निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास ने बताया कि जब तक इन संतों के नोटिस का जवाब नहीं आ जाता और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक उनका नाम सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। यह अखाड़ों की गोपनीय प्रक्रिया होती है, जिसमें नाम तभी सार्वजनिक किए जाते हैं जब निष्कासन की कार्रवाई पूरी होती है।
समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया
इस कदम को लेकर समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया भी काफी मिश्रित रही है। कुछ लोग इसे सही दिशा में उठाया गया कदम मानते हैं, जबकि अन्य ने इसे चुनावी राजनीति और फर्जी बाबाओं के खिलाफ सामाजिक और धार्मिक वर्गों की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा है।
कुल मिलाकर, हाथरस भगदड़ की घटना के बाद अखाड़ों द्वारा उठाए गए इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साधु संतों के आचरण और गतिविधियों पर निगरानी रखना अब अखाड़ों की प्राथमिकता है। यह कदम न केवल धार्मिक संस्थाओं की छवि सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि समाज में सही और गलत के बीच की सीमाएं भी स्पष्ट करता है।