Allahabad High Court, High Court Decision : इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसला लिया है, जिसके तहत हाईकोर्ट के वकील अब जजों को “माई लॉर्ड” या “योर लॉर्डशिप” के बजाय “सर” या “माननीय” कहेंगे। यह फैसला बार एसोसिएशन की एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसमें जजों के संबोधन को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस को समाप्त कर दिया गया है।
Allahabad High Court Decision : संबोधन को लेकर नया दिशा-निर्देश
बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित करते हुए स्पष्ट किया है कि जजों को “माई लॉर्ड” या “योर लॉर्डशिप” जैसे संबोधन से नहीं पुकारा जाएगा। इसके स्थान पर “सर” या “माननीय” का उपयोग किया जाएगा। इस प्रस्ताव के अनुसार, जजों को भगवान की तरह नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि वे पब्लिक सर्वेंट हैं और उन्हें जनता के टैक्स से वेतन मिलता है।
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय न्याय का मंदिर नहीं, बल्कि इंसाफ देने का एक संस्थान है। यह निर्णय देश के मुख्य न्यायाधीश के उस बयान के संदर्भ में लिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जजों को खुद को भगवान नहीं समझना चाहिए।
Allahabad High Court Decision : हड़ताल और वकीलों के विरोध की स्थिति
इस प्रस्ताव के अलावा, बार एसोसिएशन की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि वकीलों की हड़ताल को आगे भी जारी रखा जाएगा। पिछले दो दिनों से चल रही हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रहेगी। हड़ताल के बावजूद जो वकील अदालत में पेश हुए थे या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बहस कर रहे थे, उनकी सदस्यता निरस्त कर दी जाएगी।
ऐसे वकीलों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा और उन्हें कोई सुविधाएं नहीं दी जाएंगी, साथ ही उन्हें दोबारा सदस्यता भी नहीं दी जाएगी। बार एसोसिएशन ने हड़ताल के दौरान काम करने वाले कई वकीलों की पहचान कर उन्हें नोटिस जारी किया है।
Allahabad High Court Decision : बार एसोसिएशन की बैठक का विवरण
बार एसोसिएशन की बैठक की अध्यक्षता अनिल तिवारी ने की, जिसमें सचिव विक्रांत पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे और अन्य पदाधिकारी शामिल थे। बैठक में उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्रा, सुभाष चंद्र यादव, नीरज त्रिपाठी, नीलम शुक्ला और अन्य कई सदस्यों ने अपने विचार रखे। बैठक में बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रेस पुनीत कुमार शुक्ला ने प्रेस नोट जारी कर इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी दी।
Allahabad High Court Decision : वकीलों की हड़ताल का कारण
वकीलों का आरोप है कि उन्हें अदालतों में दुर्व्यवहार और अपमान का सामना करना पड़ता है। उनका कहना है कि मुकदमों की लिस्टिंग से लेकर सुनवाई तक में मनमानी की जाती है और जज खुद को भगवान की तरह पेश करते हैं। बार एसोसिएशन का मानना है कि जजों के संबोधन को लेकर यह बदलाव वकीलों और न्यायालय के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
Allahabad High Court Decision : नए दिशा-निर्देश का प्रभाव और प्रतिक्रिया
यह नया दिशा-निर्देश जजों के प्रति सम्मान और अदालत के कामकाज के तरीके को लेकर एक नई सोच को दर्शाता है। हालांकि, इस बदलाव को लेकर कुछ जजों और वकीलों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ लोग इसे न्यायपालिका के प्रति वकीलों के सम्मान में कमी मानते हैं, जबकि अन्य इसे न्यायपालिका और वकीलों के बीच समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं। बार एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस प्रस्ताव का उद्देश्य जजों के प्रति असमान सम्मान की परंपरा को समाप्त करना और एक समान और न्यायपूर्ण कामकाज की दिशा में एक कदम बढ़ाना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का यह निर्णय वकीलों और न्यायपालिका के बीच संबंधों को नया मोड़ देने वाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद न्यायालयों में वकीलों और जजों के बीच संबंधों में कितना सुधार होता है और क्या यह बदलाव न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होगा।