Captain Anshuman Singh : “बेटा हुआ शहीद, बहु सब कुछ लेकर चली गई मायके” कैप्टन अंशुमन सिंह के माता पिता ने बहु पर लगाए आरोप, नियम में संशोधन की मांग

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Captain Anshuman Singh, Martyr Captain Anshuman Singh, NOK Rule : उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हाल ही में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को उनकी शहादत के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में दिया गया। इस अवसर पर कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और उनकी मां मंजू सिंह ने कीर्ति चक्र प्राप्त किया। समारोह के दौरान स्मृति के चेहरे पर जो भाव थे, वे सोशल मीडिया पर वायरल हो गए और लोगों ने भावुक टिप्पणियां कीं। लेकिन अब इस परिवार को एक नई विवादित स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें अंशुमान के माता-पिता ने बहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं और एनओके (नेक्‍स्‍ट टू किन) नियम में बदलाव की मांग की है।

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Captain Anshuman Singh : अंशुमान सिंह की शहादत और सम्मान

कैप्टन अंशुमान सिंह भारतीय सेना के एक बहादुर अधिकारी थे, जो पिछले साल सियाचिन में शहीद हो गए थे। उनकी शहादत को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रपति भवन में कीर्ति चक्र से उन्हें नवाजा गया। यह एक उच्चतम सैन्य सम्मान है जो देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान के लिए प्रदान किया जाता है। समारोह में उनकी पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह ने यह सम्मान प्राप्त किया। समारोह के बाद स्मृति ने बताया कि कैसे उनकी अंशुमान सिंह से मुलाकात हुई और शादी के मात्र पांच महीने बाद ही वह विधवा हो गईं। इस भावुक लम्हे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे देशवासियों ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

Captain Anshuman Singh : एनओके (नेक्‍स्‍ट टू किन) नियम में बदलाव की मांग

हालांकि, अब अंशुमान सिंह के परिवार के एक नए विवाद ने चर्चा का विषय बना दिया है। अंशुमान के माता-पिता ने अपनी बहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं और एनओके नियम में बदलाव की मांग की है। एनओके का मतलब है ‘नेक्‍स्‍ट टू किन’, जो सेना के अधिकारियों और जवानों के लिए एक महत्वपूर्ण नियम है। जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है, तो उसके माता-पिता का नाम निकटतम रिश्तेदार के रूप में दर्ज किया जाता है। शादी के बाद पत्नी का नाम स्वचालित रूप से इस सूची में शामिल हो जाता है। यदि कोई जवान शहीद हो जाता है, तो उसकी पत्नी को आर्थिक मदद और अन्य सैन्य सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

अंशुमान के पिता, रवि प्रताप सिंह ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि “एनओके का जो निर्धारित मापदंड है, वह ठीक नहीं है। मैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस मुद्दे से अवगत करा चुका हूँ। पांच महीने की शादी थी, कोई बच्चा नहीं था। बहू ने बिना पूछे मेरे बेटे का परमानेंट पता भी बदलवा दिया है। अब हमारे पास क्या बचा है? इस नियम में बदलाव होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी ने बहू के साथ सम्मान लेने गई थीं, लेकिन वह कीर्ति चक्र को छू तक नहीं पाईं।

Captain Anshuman Singh : राहुल गांधी से मुलाकात और आश्वासन

रवि प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने हाल ही में रायबरेली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की और इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी जी ने मुझे आश्वासन दिया है कि वह इस मामले को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष उठाएंगे और इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।” यह मुलाकात और आश्वासन शहीद के परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें इस मामले में सरकार से उम्मीदें हैं।

Captain Anshuman Singh : बहू पर आरोप और पारिवारिक विवाद

अंशुमान सिंह की मां, मंजू सिंह ने भी इसी मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “मेरे साथ तो यह घटना हो गई, लेकिन मैं चाहती हूँ कि नियमों में परिवर्तन हो ताकि भविष्य में किसी और के परिवार को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े। बहुएं भाग जा रही हैं, और यह समाज में एक गंभीर समस्या बन गई है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अंशुमान की पत्नी स्मृति सिंह शादी के बाद अपने मायके चली गई थीं और वापस नहीं लौटीं। उनका दावा है कि तेरहवीं के अगले दिन ही वह अपने मायके चली गईं और अब तक नहीं लौटीं।

Captain Anshuman Singh : पंजाब में मायका और विवाद का तर्क

स्मृति सिंह पंजाब के गुरदासपुर की निवासी हैं। अंशुमान सिंह के पिता का कहना है कि शादी के बाद स्मृति सिंह ने परिवार से कोई संपर्क नहीं किया और अपनी जिंदगी की दिशा बदल दी। यह स्थिति परिवार के लिए अत्यंत कठिन और संवेदनशील है, और वे चाहते हैं कि सरकार इस मामले में उचित ध्यान दे और एनओके नियम में सुधार करे।

कैप्टन अंशुमान सिंह की शहादत और उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित करने की खबरें देशवासियों के लिए गर्व का विषय थीं। लेकिन उनके परिवार में उत्पन्न हुए विवाद और एनओके नियम में सुधार की मांग ने एक नई चर्चा को जन्म दिया है। यह मामला न केवल व्यक्तिगत त्रासदी को दर्शाता है, बल्कि यह सरकारी नीतियों और नियमों की समीक्षा की आवश्यकता की भी ओर इशारा करता है। उम्मीद है कि इस विवाद का समाधान जल्द होगा और भविष्य में ऐसे मुद्दों की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।