Kalyug Prediction : कलयुग के अंत में 12 से 20 वर्ष तक होगी लोगों की आयु, होंगी विचित्र घटनाएं

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Kalyug Prediction, Kalyug, Kalyug Alert, Veda Puran : वेद-पुराणों का समय सदैव रहस्यमय रहा है, जिसमें मानव जीवन के सभी पहलुओं का विस्तार संग्रहित है। इन प्राचीन ग्रंथों में न केवल देवताओं के जीवन और उनकी लीलाएं ही बताई गईं हैं, बल्कि मानव जीवन के चार युगों और उनकी विशेषताओं का वर्णन भी किया गया है।

इन युगों में से वर्तमान का युग ‘कलयुग’ है, जिसके बारे में वेद-पुराणों में कई भविष्यवाणियां और संकेत मिलते हैं।

Kalyug Prediction : कलयुग की अवधि

कलयुग को उन तीन युगों के तुलना में सबसे छोटा और विकृति-युक्त माना जाता है। इस युग की अवधि को लगभग 4,32,000 मानव वर्ष बताया गया है। इस युग में मनुष्य के अंधकार, अज्ञान और पाप की पराजय होती रहती है और धर्म की प्रायश्चित्ता भी आसानी से मिल जाती है।

इस युग में देवता और राक्षसों की प्राधान्य नहीं रहती है, बल्कि मनुष्य को ही श्रेष्ठ माना जाता है जो अपने अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल पाते हैं।

Kalyug Prediction : कलयुग के विशेषताएँ

कलयुग को वेद-पुराणों में विभिन्न विशेषताओं से गुणा गया है। इस युग में मनुष्य की आयु 90 वर्ष मानी गई है और उसकी शारीरिक और मानसिक क्षमताएं भी प्रगतिशील रूप से कमजोर होती जा रही हैं।

वेद-पुराणों में इसकी भविष्यवाणियां बताती हैं कि कलयुग के अंत में लोगों की ऊँचाई मात्र 4 इंच तक हो जाएगी और उनकी आयु केवल 12 से 20 वर्ष तक ही बचेगी। इस युग में धर्म, सत्य और दया की कमी होती जा रही है और अधर्म, असत्य, हिंसा और अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है।

Kalyug Prediction : वेद-पुराणों में कलयुग की भविष्यवाणियां

विष्णु पुराण में वर्णित है कि कलयुग जैसे-जैसे अग्रसर होगा, उसमें अधर्म का प्रबल अधिकार होगा। धर्म के पालनकर्ता लोगों की संख्या घटती जाएगी और वे लोग भी विलुप्त हो जाएंगे जो धर्म के मार्ग पर चलते हुए अधर्म के खिलाफ उत्तरदायित्वपूर्ण योद्धा हों। वेद-पुराणों का यह विशेष भविष्यवाणी समाज में गहरे विचार को उत्तेजित करती है और मानवता को धर्म, सत्य और परमात्मा के प्रति अपने कर्तव्यों को पुनः सोचने पर मजबूर करती है।

वेद-पुराणों में दी गई भविष्यवाणियां कलयुग की विशेषताओं को अवगत कराती हैं और मानव समाज के लिए एक सच्ची मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करती हैं। इन्हीं सूत्रों को ध्यान में रखते हुए हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए एक समृद्ध और नैतिक जीवन बिताना चाहिए।