Explainer, Mahabharat Explainer, Sanjay Divya Drishti, Mahabharata Sanjay Explainer : महाभारत युद्ध की कथाएं हमें उस अद्वितीय संजय के बारे में बताती हैं, जिन्हें धृतराष्ट्र के लिए युद्ध के घटित हो रहे पलों का वर्णन करने के लिए दिव्य दृष्टि मिली थी। संजय ने दिव्या दृष्टि मिली थी, जिससे दृष्टि से युद्ध के पल-पल का वर्णन करने की क्षमता मिली थी, जब वह महल में बैठकर धृतराष्ट्र को उन सभी घटनाओं के बारे में सुना रहे थे। इस अनूठी शक्ति के बावजूद, क्या आपको यह पता है कि उनकी दिव्य दृष्टि कब तक बनी रही और बाद में उनका जीवन कैसा गुजरा?
Mahabharat Explainer : संजय के बारे में
महाभारत के इस प्रसिद्ध युद्ध में, संजय विद्वान गावाल्गण नामक सूत के पुत्र थे और धृतराष्ट्र के गुरु थे। वे वेद व्यास के शिष्य थे और धृतराष्ट्र की राजसभा में उपस्थित थे, जहां वे उसे उपदेश देते थे। उनका स्वभाव विनम्र और धार्मिक था, और उन्होंने अपने जीवन में सत्य और धर्म का पालन किया।
Mahabharat Explainer : संजय का युद्ध में योगदान
महाभारत के पहले दिन से ही संजय का सम्पर्क धृतराष्ट्र के साथ शुरू हो गया था। वे युद्ध के बगैर उसका अवलोकन करने के लिए महर्षि वेदव्यास की दी गई दिव्य दृष्टि से संज्ञान में आए थे। इसके बाद संजय ने महल में बैठकर ही युद्ध-क्षेत्र की सभी घटनाओं को धृतराष्ट्र को सुनाया, उन्हें युद्ध में हो रही प्रत्येक घटना की जानकारी दी।
Mahabharat Explainer : धृतराष्ट्र को सुनाया गया हाल
संजय ने युद्ध के उस समय तक धृतराष्ट्र को युद्ध में हो रहे प्रत्येक वार्ताओं को सुनाया, जब तक कि युद्ध का अंत न हो गया। उन्होंने धृतराष्ट्र को उन सभी घटनाओं का विवरण दिया, जिनमें पांडवों और कौरवों के बीच घटनाओं का वर्णन था। उन्होंने समय-समय पर धृतराष्ट्र को सलाह भी दी, ताकि वे युद्ध के अन्धाधुंध प्रभाव से बच सकें।
Mahabharat Explainer : दिव्य दृष्टि का अंत
महाभारत युद्ध के अंत के करीब, धृतराष्ट्र के विशेष दोस्त और सलाहकार संजय की दिव्य दृष्टि खत्म हो गई। युद्ध के इस अंतिम चरण में, धृतराष्ट्र को उसके समाप्ति के बारे में विस्तार से संजय ने बताया। यहां तक कि उन्होंने भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी सुचना दी। इसके बाद उनका जीवन धृतराष्ट्र के साथ युद्ध के बाद कैसा गुजरा, इसके बारे में बताया नहीं गया है।
Mahabharat Explainer: कथा के अंत में संजय की दिव्य दृष्टि भी समाप्त
महाभारत युद्ध के इस अद्वितीय कथा के अंत में, संजय की दिव्य दृष्टि भी समाप्त हो गई। उन्होंने धृतराष्ट्र को उसके समाप्ति के पश्चात् जो हालत बनी, उसे बताया। महाभारत के युद्ध के बाद संजय की दिव्य दृष्टि नष्ट हो गई, और उन्होंने फिर व्यास महर्षि के पास लौटने का निर्णय किया।
Mahabharat Explainer : संजय का युद्ध-क्षेत्र में अद्वितीय योगदान
इस विशिष्ट प्रसंग में, संजय ने युद्ध के दर्शनियों के रूप में अपना स्थान बनाया है। उनकी दिव्य दृष्टि का वर्णन महाभारत के अनुपम महकवि वेदव्यास ने किया है, जिससे वे उस समय के घटित हो रहे पलों का सटीक वर्णन कर पाए थे। इस प्रकार, संजय का यह युद्ध-क्षेत्र में अद्वितीय योगदान उन्हें सदैव याद रहेगा, जिसका परिणामस्वरूप ही हमें आज भी महाभारत के उस समय का अनुभव करने की समर्थन की अनुमति है।