- संकटग्रस्त बच्चों को लेकर सरगुजा में हुआ अच्छा काम
- छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने की तारीफ
- बाल विवाह रोकने के कार्य मे महिला बाल विकास विभाग को मिली प्रशंसा
अम्बिकापुर (दीपक सराठे)
छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शताब्दी राजेश पांडेय ने सरगुजा में संकटग्रस्त बच्चों को लेकर हुये कार्यों की तारीफ की है। उन्होंने इसके लिये सरगुजा कलेक्टर के द्वारा छेड़ी गई मुहिम के कारण एक अच्छे रिजल्ट आने पर बधाई दी। आयोग की अध्यक्ष ने महिला बाल विकास विभाग की ओर से जिले में आंगनबाडियों पर बच्चों से अनैतिक काम व ट्रैफिकिंग रोकने के लिये उल्लेखित कराये गये 1098 नम्बर की पहल को सराहनीय कदम बताया। आयोग की अध्यक्ष शताब्दी राजेश पांडेय ने स्थानीय विश्राम भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि सरगुजा जिले में हुये सर्वे मेें संकटग्रस्त बच्चों की संख्या 7 सौ आंकी गई थी। इनमेें से 130 बच्चों का रिहैवीटेशन हो चुका है। 36 बच्चे बाल संरक्षण की दृष्टि से संरक्षण गृह में रखे गये हैं। उन्होंने बताया कि संकटग्रस्त बच्चों की ओर ट्रायवल वेयर फेयर डिपार्टमेंट का भी ध्यान है। इससे बच्चों को संरक्षण गृह की जगह आश्रमों व छात्रावासों में रहकर पढने का अवसर मिलेगा। इससे बच्चों और पालकों के बीच की दूरी कम होगी। उन्होंने इस ओर न्याय अधिनियम की धारा 109 के तहत बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा परिवार समाज व गैर लोगों से मिल रही प्रताडना व बच्चों में बने रहने वाले भय की मॉनिटरिंग के साथ प्रदेश भर में अब तक सामने आये ऐसे मामलों में दी गई राहत पर प्रकाश डाला।
बच्चों के मन में पुलिस के भय को देखते हुये बाल मित्र दल का गठन राज्य भर में किये जाने की बात अध्यक्ष ने कही। इसके तहत बाल मित्र थाना का भी गठन किया जाना है । जिसके लिए श्रीमति पाण्डेय ने सरगुजा एसपी राधेश्याम नायक को निर्देश भे दे दिया है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर मे बाल मित्र थाना और बच्चो के लिए थाना मे बेहतर वातावरण निर्माण के लिए रायपुर मे कुछ दिनो पहले आयोग के जोयम सोयम नाम के दो बाल मित्र मांडल को भी लांच किया है। जो अब पूरे प्रदेश के थानो मे नजर आएगे। आयोग की अध्यक्ष श्रीमति शताब्दी पाण्डेय के मुताबिक बाल मित्र थाना मतलब बच्चो के लिए थानो मे बेहतर निर्माण से बच्चों के मन मे डर नही होगा और बच्चो स्वछंद अपनी शिकायत करने थानो तक पंहुचे सकेंगे।
बाल विवाह रोकने सराहनीय पहल
सरगुजा जिले में महिला बाल विकास द्वारा बाल विवाह रोकने के काम की भी अध्यक्ष ने तारीफ की। उन्होंने बताया कि सरगुजा जिले में इस बार सर्वाधिक 52 बाल विवाह रोके गये हैं। इसके अलावा रामानुजगंज क्षेत्र में 30 बाल विवाह रूके हैं, वहीं सरगुजा में चाईल्ड लाईन ने 12 बाल विवाह रूकवाया है। उन्होंने रोके गये बाल विवाह के विषय में कहा कि अधिकांश बाल विवाह बालिकाओं के मना करने पर रोका गया है। बालिकायें बाल विवाह को लेकर गंभीर व जागरूक हो चुकी हैं। अध्यक्ष ने बताया कि बच्चों को नशे का सामान बेचने, भीख मंगवाने के लिये कड़े प्रावधान बनाये गये हैं। इसका प्रचार-प्रसार करने का दायित्व भी आयोग पर है। नशे का सामान बच्चों को बेचने पर 7 साल व भीख मंगवाने पर 5 साल की सजा का प्रावधान है।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
रामानुजगंज में विगत दिनों बालिका की मौत को लेकर आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि हमारे द्वारा वहां जाकर पूरी जांच की गई। मामले में एसआईटी की टीम का जांच रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने बताया कि बालिका के पिता का आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर में मनगढंत बातें लिखी है। वहीं एफआईआर में व्हाईटनर लगा हुआ है, जो गलत है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आयोग की जांच में कई तथ्य उजागर हुये हैं। वे अपनी जांच की पूरी रिपोर्ट डीजीपी को देंगी।