फ़टाफ़ट न्यूज़/सीतापुर || अनिल उपाध्याय
सरगुजा…पद का दुरुपयोग करते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच, उपसरपंच एवं दबंगो ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर लिया। जिसके विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए ग्रामीणों ने कलेक्टर SDM एवं थाने में ज्ञापन सौंप अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की हैं। ग्रामीणों द्वारा पखवाड़े भर पूर्व सौंपे गए ज्ञापन के बाद भी अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नही होने से लोग काफी हताश हैं।
दरअसल, पूरा मामला शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण को लेकर सुर्खियों में रहने वाले छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट के तराई ग्राम पंचायत जजगा का हैं। जहाँ पद का दुरुपयोग करते हुए गांव के सरपंच रामशंकर आ नंदलाल उराँव उम्र 40 वर्ष उपसरपंच चंद्रबली यादव आ बद्दु अहीर उम्र 35 वर्ष पंच पति सुमन गिरी आ नानभईया उम्र 36 वर्ष समेत अमृत एवं मुनेश्वर जैसे दबंगो ने कठरापारा स्थित पांच दशक पुरानी चारागाह की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर लिया।उक्त भूमि छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि हैं। जिसका उपयोग पिछले पांच दशकों से गांव के लोग चारागाह के रूप में उपयोग करते चले आ रहे हैं। जिसे कूटरचित दस्तावेजों के जरिये राजस्व विभाग की मिलीभगत से ग्राम पंचायत के सरपंच उपसरपंच समेत गांव के दबंगो ने अपने नाम करा लिया हैं। जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने अवैध कब्जाधारियों के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए कलेक्टर एसडीएम एवं थाने में ज्ञापन सौंप अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की हैं। ताकि शासकीय भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराते हुए चारागाह के रूप में उपयोग किया जा सके।
इस संबंध में गया यादव शिवदास, विजय किंडो, अवधेश किंडो, मुकेश, रामकुमार, बालेश्वर ने बताया कि, छोटे झाड़ जंगल मद की करीब 50 एकड़ शासकीय भूमि हैं। जिसका चारागाह के रूप में उपयोग करते हुए पांच दशक पूर्व से हमारे बाप दादा वहाँ मवेशी चराते आ रहे हैं। इस बीच न जाने कितने सरपंच आये गए। लेकिन, किसी ने भी इस सरकारी जमीन पर अपनी नजरें नही गड़ाई। जबसे गांव का सरपंच रामाशंकर बना हैं उसकी नजरें इस शासकीय जमीन पर गड़ी हुई थी। जिस पर वो हर कीमत पर अपना कब्जा जमाना चाहता था। सरपंच ने अपने इस मंसूबे को अंजाम देने के लिए उपसरपंच चंद्रबली यादव पंच पति सुमन गिरी समेत गांव के कुछ दबंगो को अपने साथ मिला लिया। ताकि इन दबंगो के डर से गांव वाले इस अवैध अतिक्रमण का विरोध न कर सके। जिसके बाद इन्होंने कूटरचित दस्तावेजों के जरिये राजस्व अमला के मिलीभगत से लगभग 30 एकड़ छोटे झाड़ मद की शासकीय भूमि पर कब्जा कर लिया।
सरपंच के इस करतूत का खुलासा होने के बाद जब लोगो ने इसका विरोध किया। तब सरपंच ने साथियों समेत अपनी ऊंची पहुँच का धौस दिखाते हुए उन्हें काफी डराया धमकाया। जिसके बाद गांव के लोग काफी आक्रोशित हो गए। उन्होंने पद का दुरुपयोग करने वाले सरपंच एवं उसके दबंग साथियों के विरुद्ध कूटरचित दस्तावेजों के जरिये शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण करने का आरोप लगा कलेक्टर जनदर्शन में ज्ञापन सौंपा। जिसमे उन्होंने सारी वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए चारागाह के रूप में उपयोग की जाने वाली शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की। ग्रामीणों ने उक्त भूमि से अतिक्रमण हटा वहाँ शासकीय योजनाओं के तहत वृक्षारोपण कराने की मांग की। ताकि छोटे झाड़ मद की शासकीय भूमि को संरक्षित करते हुए चारागाह के रूप में उपयोग किया जा सके।
इस संबंध में ग्रामीणों द्वारा ज्ञापन सौंपने के बाद भी संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नही की गई। जिसका अनुचित लाभ उठाते हुए सरपंच एवं उसके साथीयों द्वारा कब्जे वाली जमीन पर मकान निर्माण कराया जा रहा हैं। प्रशासनिक कार्रवाई का अभाव एवं अतिक्रमणकारियों के बढ़ते हौसले देख ग्रामीणों का धैर्य जवाब देने लगा हैं। जिससे गांव का माहौल अशांत एवं तनावपूर्ण होता जा रहा हैं। अगर प्रशासन द्वारा अतिक्रमण करने वाले सरपंच एवं उसके साथियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नही की गई तो लोगो मे आक्रोश बढ़ता जायेगा। जिससे गांव की शांति कभी भी भंग हो सकती हैं।
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