स्पोर्ट्स डेस्क. सोमवार की रात सांस थमा देने वाले मुकाबले में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने गुजरात टाइटंस (Gujarat Titans) को पटखनी देते हुए पांचवीं बार आईपीएल की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। सबसे खास बात ये है कि चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने सभी आईपीएल खिताब महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीते हैं। धोनी साल 2008 से ही CSK के साथ हैं और टीम की कमान संभाल रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ गुजरात टाइटंस की टीम साल 2021 में बनी थी और तब से ही उसकी कमान हार्दिक पंड्या के हाथों में है। गुजरात टाइटंस की फ्रेंचाइजी ने हजारों करोड़ रुपये की रकम में टीम को खरीदा था। वहीं, 2008 में चेन्नई की फ्रेंचाइजी ने भी टीम के लिए बड़ी रकम खर्च की थी।
गुजरात टाइटंस और चेन्नई सुपर किंग्स में अंतर
गुजरात टाइटंस अभी नई टीम हैं। जबकि चेन्नई सुपर किंग्स के पास एक लंबी लेगेसी है। महेंद्र सिंह धोनी जैसा खिलाड़ी CSK का कप्तान हैं। जिसकी गिनती दुनिया के टॉप कप्तानों में होती हैं। दोनों टीमों की खरीदने के लिए इसकी फ्रेंचाइजी ने भारी रकम खर्च की थी। लेकिन, दोनों टीमों एक बड़ा अंतर ये भी हैं कि, गुजरात टाइटंस की टीम तब बनी। जब आईपीएल का पताका पूरी दुनिया में लहरा चुका था। वहीं, चेन्नई सुपर किंग्स पहले सीजन से इस लीग का हिस्सा रही हैं।
CSK का मालिकाना हक किसके पास
चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी इंडिया सीमेंट लिमिटेड के पास हैं। साल 2008 में इंडिया सीमेंट्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को खरीदा था। इस सीमेंट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर एन श्रीनिवासन चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक हैं। एन श्रीनिवासन इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। एन श्रीनिवासन ने साल 2008 में चेन्नई सुपर किंग्स को 91 मिलियन डॉलर में खरीदा था।
गुजरात टाइटंस का मालिक कौन?
गुजरात टाइटंस की टीम ने आईपीएल 2022 का खिताब अपने नाम किया था। अगर इस टीम के मालिक की बात करें, तो सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स (CVC Capital Partners) के पास इसकी फ्रेंचाइजी हैं। सीवीसी ने 5625 करोड़ रुपये में गुजरात टाइटंस को खरीदा था। सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स एक इंवेस्टमेंट, बैंकिंग और ब्रोकरेज, फाइनेंस कंपनी हैं।
कैसे कमाई करती हैं टीमें?
आईपीएल को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) संचालित करता हैं और BCCI और फ्रेंचाइजी दोनों के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया मीडिया और ब्रॉडकास्ट हैं। आईपीएल की फ्रेंचाइजी फ्रेंचाइजी अपने मीडिया राइट्स और ब्रॉडकास्ट के राइट्स को बेचकर सबसे अधिक पैसा कमाती हैं। फिलहाल, ब्रॉडकास्ट का राइट स्टार स्पोर्ट्स के पास हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से होने वाली कमाई का 20 फीसदी हिस्सा बीसीसीआई रखता था और 80 फीसदी रकम टीमों को मिलती थी। लेकिन, धीरे-धीरे ये हिस्सा बढ़कर 50-50 प्रतिशत हो गया।
विज्ञापन से होती हैं भारी कमाई
फ्रेंचाइजी आईपीएल मीडिया ब्रॉडकास्ट के राइ़़ट्स को बेचने के अलावा विज्ञापनों से भी जमकर पैसा कमाती हैं। खिलाड़ियों की टोपी, जर्सी और हेलमेट पर दिखने वाले कंपनियों के नाम और लोगो के लिए भी कंपनियां फ्रेंचाइजियों को जमकर पैसा देती हैं। आईपीएल के दौरान फ्रेंचाइजियों के खिलाड़ी कई तरह के एड शुट करते हैं। इससे भी कमाई होती हैं। कुल मिलाकर विज्ञापन से भी आईपीएल टीमों के पास बहुत पैसा आता हैं।
तीन हिस्सों में बंटा है रेवेन्यू
अब थोड़ा आसान भाषा में समझ लेते हैं कि, कैसे टीमें कमाई करती हैं। सबसे पहले आईपीएल टीमों की कमाई को तीन हिस्सों- सेंट्रल रेवेन्यू, प्रमोशनल रेवेन्यू औरर लोकल रेवेन्यू में बांट देते हैं। सेंट्रल रेवेन्यू में ही मीडिया ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और टाइटल स्पॉन्सरशिप आता हैं। इससे टीमों की कमाई का लगभग 60 से 70 फीसदी हिस्सा आता हैं। दूसरा हैं विज्ञापन और प्रमोशनल रेवेन्यू। इससे टीमों करीब 20 से 30 फीसदी तक की कमाई होती हैं। वहीं, लोकल रेवेन्यू से टीमों की कमाई का 10 फीसदी हिस्सा आता हैं। इसमें टिकटों की बिक्री और अन्य चीजें शामिल होती हैं।
हर सीजन में 7-8 घरेलू मैचों के साथ फ्रेंचाइजी मालिक टिकट बिक्री से अनुमानित 80 प्रतिशत रेवेन्यू अपने पास रखता हैं। बाकी 20 प्रतिशत बीसीसीआई और प्रायोजक के बीच बंटता हैं। टिकटों की बिक्री से होने वाली आय आम तौर पर टीम के राजस्व का 10-15 प्रतिशत होती हैं। टीमें मर्चेंडाइज जैसे जर्सी, टोपी और अन्य सामान बेचकर भी रेवेन्यू का छोटा सा हिस्सा जेनरेट करती हैं।
फ्रेंचाइजी ने खोल दी थी तिजोरी
2008 में जब आईपीएल शुरू हुआ। तो भारतीय बिजनेमैन और बॉलीवुड के कुछ बड़े नामों ने आठ शहर बेस्ड फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए कुल 723.59 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। डेढ़ दशक बाद, आईपीएल की लोकप्रियता और व्यावसायिक मूल्य में कई गुना वृद्धि हुई हैं।
2021 में सीवीसी कैपिटल (एक ब्रिटिश इक्विटी फर्म) ने गुजरात टाइटन्स की की फ्रेचाइजी के लिए लगभग 5625 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2008 में चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी ने टीम के लिए 91 मिलियन डॉलर की राशि खर्च की थी।